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हम रात रेशमी कर देंगे

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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जो सूखे होंठ कलम के तो,
हम शबनम से तर कर देंगे।
रोक मखमली मलमली शाम-
हम रात रेशमी कर देंगे…।

सुनहरी-सी जुल्फों के घेरे,
सूरत की रौशनी से तेरे
सुन लिखा तराना जाएगा,
सुनने सन्नाटा आएगा।
और रात में बुला सवेरे,
सजदा कर-कर नजरें मेरे
एहसास दरीचे झर लेंगे,
हम रात रेशमी कर देंगे…।

सच में तारे इठलायेंगे,
वो चाँद बुलाने जाएंगे
सुनहरे से बादल छाएंगे,
फिर ख्वाब रसीले आएंगे।
और दिल मयूरा झूमेगा,
अल्फाज़ पपीहा बोलेगा
ग़ज़लों का घूँघट खोलेंगे
कागज नवरंगी रंग देंगे।
हम रात रेशमी कर देंगे…।

संदल-संदल कुछ गमकेगा,
गुलशन बीच फूल महकेगा
काफिया शरारा दहकेगा,
मतला दीवाना कुहकेगा।
हर्फ़ों की बुलबुल चहकेगी,
नज़्म फिर कोई बहकेगी
लफ्जों के तरन्नुम फूटेंगे,
मंजर से सभी बहर लेंगे।
हम रात रेशमी कर देंगे…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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