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हयात का सफ़र

मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
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हयात की शुरुआत तो आसान थी,
क्योंकि बचपन बड़ा मासूम था
जहाँ कागज़ की कश्ती जहाज थी,
और अत्फ़ से बना आदिल आशियाना था।

कलेवा कर चल पड़ते थे,
उस विद्यालय की ओर
अकेले नहीं अपनी टोली संग
मचा दिया करते अक्सर,
हुड़दंग चंहुओरl

गुजर गया बचपन मस्ती में
बड़ों के अश्फ़ाके पर,
प्रश्न जरूर आया होगा-
‘क्या यही था सफ़र ?’

जिंदगी का पैगाम आया-
“अब हो जाओ जिन्ह़ार!
नसीब में सबके नहीं हूँ मैं,
जरा कर लेना तसव्वुर।”

त्यागने पड़ते हैं आरज़ू और छंद
बनने के लिए अर्जमन्द,
आया जो जिदंगी का प्रस्ताव,
कर गया शामिल अपनी खिदमत में।

सफ़र की शुरुआत तो तब हुई,
जब मुलाक़ात हुई मुसाफ़िरों से
जिनकी मंजिल तो एक थी,
पर राहों में अंतर था।

जिदंगी तो थी पर,
आसरा नहीं था
एहतियाज तो थी पर,
एहतमाम नहीं था।

कान भी स्वयं की
असकाम़ सुनते रहे,
इताब तो खूब आता
पर फिर भी,
एहसान समझ कर झेलते रहे।

लोग शराब के खुमार में
धुंध थे और यहाँ,
अब्सार आब-ए-चश्म
छलका रहे थे।

खुद की मेहनत पर,
कभी गुमान नहीं किया
क्योंकि,खुद का अश्फ़ाक
मैं स्वयं ही था।

एक दिन कहा जिंदगी ने मुझसे,-
“क्यों तू मुझसे शिकायत नहीं करता ?
क्यों तू छोटी उपलब्धियों में
खुर्रम होता ?
क्यों तू नामुमकिन को है चाहता,
जब तेरा कोई नाम ही नहीं होता ?”

मैंने कहा-
“क्या फ़रियाद करूँ मैं उससे
जो हर किसी के नसीब में नहीं,
क्यों न होऊँ प्रसन्न मैं उनमें,
जो होता नहीं मुकम्मल
हर किसी को।”

अर्थ वही है
समझ नहीं है,
‘नामुमकिन’ नहीं,’नाम’ मुमकिन’ होता है
निर्भर करता है कौन,
कैसे समझता है ?

क्या फ़रियाद करूँ मैं तुझसे,
जिसके पास भीड़ कम नहीं
शिकायत करने वालों की,
जो तुझसे यह कहते हैं,-
“थक गए हैं तेरी खिदमत से
जो आतिश के अंगारों पर
चलाती है,
आराम नहीं है काम बहुत है
नींद मुकम्मल नहीं हो पाती।”

“ए जिदंगी तू उनको,
तख़्त पर नहीं कब्र में
मुकम्मल नींद सुला देती।
तूने जो दिया वो कम नहीं,
तो फ़रियाद कैसे करूँ ?
सफ़र मुकम्मल हो जाए
यही आरज़ू है मेरी।”

((इक दृष्टि यहाँ भी:अत्फ़=प्रेम,आदिल=सच्चा,आशियाना=बसेरा; घर,कलेवा=सुबह का जलपान,अश्फ़ाक=सहारा,जिन्ह़ार=सावधान,
तसव्वुर=विचार,अर्जमन्द=महान,खिदमत=नौकरी;सेवा,एहतियाज=आवश्यकता,एहतमाम=व्यवस्था,असकाम़=बुराईयां,इताब=क्रोध,
खुमार=नशा,अब्सार=आँखें,आब-ए-चश्म=आँसू,गुमान=सन्देह,खुर्रम =प्रसन्न,फ़रियाद=शिकायत,आतिश=आग और आरज़ू=इच्छा।)

परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैl इनका निवास नवी मुंबई में हैl यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है।

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