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हरिहर सिंह चौहान और संजय वर्मा ‘दृष्टि’ बने प्रथम विजेता

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इंदौर (मप्र)।

मातृभाषा हिन्दी की प्रसिद्धि के लिए रचनाशिल्पियों को स्पर्धा से सतत प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी क्रम में इस बार ७६ वीं स्पर्धा हुई, जिसमें
‘विश्वास:मानवता, धर्म और राजनीति’ विषय पर गद्य में प्रथम विजेता हरिहर सिंह चौहान (मप्र) और पद्य में संजय वर्मा ‘दृष्टि’ (मप्र) बने हैं।
यह जानकारी मंच-परिवार अर्चनाकी सह-सम्पादक श्रीमती जैन व संस्थापक- सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने दी। श्रीमती जैन के अनुसार सभी प्रविष्टियों में से श्रेष्ठता अनुरुप निर्णायक मंडल ने गद्य में श्री चौहान ‘भारत की नैतिकता का प्रतीक मानवता’ को पहले क्रम पर चयनित किया है, तो दूसरा स्थान गोवर्द्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’ (राजस्थान) के आलेख ‘संवेदना आज की आवश्यकता’ को प्राप्त हुआ है।
मंच की प्रचार प्रमुख श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ (छग) ने बताया कि, इसी प्रकार स्पर्धा में पद्य वर्ग में ‘संवेदना का सेतु ढहते देखा’ रचना के लिए श्री वर्मा को प्रथम विजेता चुना गया है। द्वितीय स्थान पर हिमाचल प्रदेश वासी हेमराज ठाकुर मंडी की रचना ‘विद्रूप से हुए आज सब’ एवं अंजना सिन्हा ‘सखी’ (छत्तीसगढ़) की प्रस्तुति ‘सबकी सेवा कर जाना’ को तृतीय विजेता के लिए चयनित किया गया है।

श्रीमती जैन ने बताया कि, १ राष्ट्रीय कीर्तिमान, १.५३ करोड़ दर्शकों-पाठकों का अपार स्नेह एवं ९ सम्मान प्राप्त इस मंच की संयोजक प्रो. डॉ. सोनाली सिंह, मार्गदर्शक डॉ. एम. एल. गुप्ता ‘आदित्य’ (महाराष्ट्र) व विशिष्ट सहयोगी एच.एस. चाहिल (छग) ने सभी विजेताओं व सहभागियों को हार्दिक बधाई दी है।