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हर रात के बाद सवेरा होता है

मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
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‘अंधियार’ का रूप निधारूण,
प्लावित हुआ हो जिसमें अरुण
खोज प्रभा की करने साकार,
तुम्हें बनना होगा ज्योति का आगार।

जो हौंसलों से उड़ान भरते हैं,
वे गिर कर उठा करते हैं
तम के धूमिल में अपना नभ खोजते,
वे सफलता की कविता पिरोया करते हैं।

असमंजस का प्रतिबंध न रोक सके उस दरिया को,
जो साहिलों की बाधा लांघ कर निरंतर बेहता जाए
ना विनष्ट कर सके व्यथा की चिंगारी उस चित्त के आँगन को,
जिसमें खुशियों से तल्लीन हर दु:ख भी मुस्कुराए।

समुद्र के शोर में,तम के घोर में,
मरूस्थल से सीप में,गरिमा का द्वीप लिए
विपश्यना का अनुगामी,सहनशीलता का अनुभवी,
सीप में मोती बन जाता है।

बंजर ज़मीन की वेदना सुन,
बादल भी अश्क छलकाएँगे
‘अंधियारी’ की प्रतिष्ठा,
रूपल-वितान के तत्व दर्शाएँगे।

कठिनाइयों की सहजता जो निरखे,
वह विजय के संशोधन में लगा रहता है।
विकटता वक़्त की गुलाम है,
हर रात के बाद सवेरा होता है॥

परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैL इनका निवास नवी मुंबई में हैL यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है।

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