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हर संघर्ष से पहले एक संघर्ष

रणदीप याज्ञिक ‘रण’ 
उरई(उत्तरप्रदेश)
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जब दिखता विशाल कोहरा नदी के उस पार,
तब लकड़ी,गठ्ठे पर चलानी पड़ती आरी की धार…
तब जाकर मेहनत पसीने से बनती नौका विशालl
जब वह निर्मित नौका उतरती नदी की धार
तब-तब चलानी पड़ती चप्पू पतवार हर बार,
जैसे-जैसे नौका नदी की धार चीरती जाती है
तब उस विशाल कोहरे में छुपी मंजिल नजर आती हैl
अतः हर संघर्ष से पहले एक संघर्ष होता है,
तट पार करने से पहले नौका निर्माण में
संलग्न सबको होना होता हैll

परिचय–रणदीप कुमार याज्ञिक की जन्म तारीख १३ मई १९९५ है। साहित्यिक नाम `रण` से पहचाने जाने वाले श्री याज्ञिक वर्तमान में वाराणसी में हैं,जबकि स्थाई बसेरा उरई(जालौन)है। वर्तमान में एम.ए (द्वितीय वर्ष) के विद्यार्थी और कार्यक्षेत्र भी यही है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत अपने लेखन के माध्यम से विचारों का सम्प्रेषण करते हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,कविता, कहानी और लेख है। प्रकाशन के तहत वर्तमान में कार्य(बुन्देखण्ड से संबंधित इतिहास पर)जारी हैl रण की लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त रूढ़ियों को तोड़ना,अंधविश्वास को दूर करना, नागरिक बोध की समझ विकसित कराने के साथ-साथ निष्पक्ष सोच की मानसिकता को पैदा कराने का प्रयास है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-माता-पिता,शिक्षकगण तथा मित्रगण हैं।भाषा ज्ञान-हिन्दी,बुन्देलखण्डी एवं अंग्रेजी का रखते हैं। रुचि-लेखन,खेल और पुस्तकें पढ़ने में है।

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