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हिंदी का क्रंदन

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..

हिंदी आज करती है क्रंदन,
एक दिन ही क्यूँ हम करें वंदन।

हिंदी बन गयी है आज शर्म,
अंग्रेजी बना हमारा प्रथम धर्म।

पराए को भले दो तुम मान,
पर अपनों की मत छीनो शान।

जो हिंदी थी गले का हार,
आज उस हिंदी बोलने से है हार।

जब जननी माँ से बन गयी है मम्मी,
तब से मेरी हिंदी भी गयी है सहमी।

बोलते थे अंग्रेजी जिस प्यारे मुल्क में,
आज हिंदी बोलने पर चुकाना पड़ता है शुल्क।

इतना मत गाओ पराया तुम सुर,
बिंदी वाली हिंदी आज भी है हूर।

हिंद देश में हम जहाँ आज रहते हैं,
उसी हिंदी के आज आँसू बहते हैं।

हिंदी आज करती है क्रंदन,
एक दिन ही क्यूँ हम करें वंदन॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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