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चाँद को गले लगा कर

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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चाँद से मिलने को गए हैं हम बारम्बार,
मिलकर उनसे हर्षाएं हैं हम बारम्बारl
कभी हम उनकी सुनें,
कभी वह हमारी सुनेंl
सुन-सुन कर एक-दूसरे के संग,
गले मिलने को बाँहें फैलाएं हैं इस बार।
देख फैली बाँहों को हमारी,
चकराया है यह संसार।
क्या हुआ यदि गले ना मिल पाए,
गले मिलने का संकल्प जगाया है इस बार।
पर हमें जानता है यह संसार,
हम गिरते-उठते उठते-गिरते
हर हालत में अपना सपना करते साकार।
फिर हम एक बार होकर तैयार,
उड़ चलेंगे सपने ले हजार
दम लेंगे चंद्रमा को गले लगा कर यार,
दम लेंगे चंद्रमा को गले लगा कर यारll

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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