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हिन्दी तो भारत की मिट्टी,पहल ऊपर से हो

महेश रौतेला

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शिक्षा नीति २०१९ के प्रारुप पर भाषा को लेकर बवाल………..

ये नाटक बाजी लग रही है। हिन्दी क्यों पढ़ें! क्या सरकारों ने हिन्दी(जहाँ हिन्दी प्रथम भाषा है) को रोजगार,शिक्षा,न्याय, प्रशासन में पूर्णतः(अंग्रेजी रहित) लागू कर दिया है! नहीं। वहाँ अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त कर दी है ?नहीं। केन्द्र सरकार की नौकरियों में हिन्दी का विकल्प है ? नहीं। तो बार-बार कक्षा एक में जाने का लाभ क्या है! स्व. मुरारजी देसाई ने जब सिविल सेवा में हल्की-सी पहल की थी तो कोई हल्ला नहीं हुआ था। अंग्रेजी का विरोध तो ये लोग नहीं करते हैं। वह तो हिन्दी से भी दूर की है। हिन्दी तो भारत की मिट्टी की है। कक्षा एक से नहीं, ऊपर से पहल हो।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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