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हिम्मत से वो काम लेता

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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साहस-उत्साह-हिम्मत…..

हैं मज़बूत इरादे जिनके,
कभी ना माने हार
चट्टानों में पैदा कर दे
वो पानी की धार,
हैं मज़बूत…।

दुश्मनों का
गुरुर तोड़ दे,
तूफानों का
रूख़ मोड़ दे,
करे वो सबसे प्यार।
हैं मज़बूत…

परिस्थितियों से,
कभी ना डरते
कभी ना ठंडी,
आहें भरते
जीवन लगे ना भार।
हैं मज़बूत…

बुलंद हौंसले,
हैं जिनके
मंज़िल खड़ी,
सामने उनके
खिज़ा में आए बहार।
हैं मज़बूत…

उत्साह में,
हर पल जीता
कभी ना दर्द के,
आँसू पीता
समझे वो जीवन का सार।
हैं मज़बूत…।

जीवन में सबके,
वो खुशियाँ भर दे
पल में पर्वत को,
राईं कर दे
सुख सागर लगे,
दुखों भरा संसार।
हैं मज़बूत…।

हिम्मत से,
वो काम है लेता
दिल से हरदम,
दुआएं देता
साहस से उसके,
मधुबन बन जाता थार।
चट्टानों में पैदा कर दे,
वो पानी की धार।
है मज़बूत…॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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