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हे ! कृष्ण-कन्हैया

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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द्वापर के है! कृष्ण-कन्हैया, कलियुग में आ जाओ।
पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ॥

अर्जुन आज हुआ एकाकी, नहीं सखा है कोई।
राधा तो अब भटक रही है, प्रीति आज है खोई॥
गायों की रक्षा करने को, नेह- सुधा बरसाओ,
पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ…॥

इतराते अनगिन दुर्योधन, पांडव पीड़ाओं में।
आओ अब संतों की ख़ातिर, फिर से लीलाओं में॥
भटके मनुजों को अब तो तुम, गीता पाठ सुनाओ,
पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ…॥

माखन, दूध-दही का टोटा, कंसों की मस्ती है।
सच्चों को केवल दु:ख हासिल, झूठों की बस्ती है॥
गोवर्धन को आज उठाकर, वन-रक्षण कर जाओ,
पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ…॥

अभिमन्यु जाने कितने हैं, घिरे चक्रव्यूहों में।
भटक रहा है अब तो मानव, जीवन की राहों में॥
कपट मिटाने हे! नटनागर, तुम पांचजन्य बजाओ,
पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ…॥

आशाएँ सब ध्वस्त हो रहीं, मातम के हैं मेले।
कहने को भीड़ हक़ीक़त में, सब आज अकेले॥
तन-मन दोनों लगें महकने, बंशी मधुर बजाओ,
पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।