प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)
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अकल का है वह पक्का,करे है बहुत काम,
दोस्त वह अच्छा सबसे,अशोक उसका नाम।
खूब डटकर काम करे,दिन हो या हो रात,
मेहनत से डरे नहीं,डर को मारे लात।
है तो घुमंतु स्वभाव का,करे है खूब मौज,
जाता है जब गांव में,चले शान से फौज।
घूम-फिर कर गांव में,देखें अपने खेत,
समय की तो सीमा है,फिसलती जैसे रेत।
संग सभी के घूम रहे,अब मस्तानी चाल,
करने मस्ती गांव में,दिया खुद को उछाल।
करके मौज गांव में,किया बचपन याद,
गांव में मेरी जड़ है,गांव ही बुनियाद।
जब घर से निकल पड़े,कभी न देखी देर,
कभी कुएं पर नहाएं,खाए हमने बेर।
छोटा है परिवार में,माने सबकी बात,
प्रेम का है बहुत धनी,कभी ना करे घात।
खुश रहना आदत उसकी,रहे चेहरे पर मुस्कान,
कूट-कूट के आदर भरा,करता खूब सम्मान।
रंगीला जीवन उसका,रखे अपने साथ,
रंग और रंगीला करें,पकड़ें उसका हाथ।
प्रेम का सागर भरा,गाए प्रेम के गीत,
प्रेम से ही जगत झुके,पाए प्रेम से जीत।
पुजारी है प्रेम का,राखे सबकी लाज,
मैं ऐसे बुद्धिमान की,कथा सुनाऊं आज।
कथा जिसकी नादान-सी,मन है उसका नेक,
ऐसा मित्र सबको मिले,मिलते और अनेक।
फुर्तीला तो बहुत ही,जागता जल्दी रोज,
है मन में उत्साह नया,खिले नूतन सरोज॥
परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’