रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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आस्था का बीज उगाओ, पर घर न कोई जलने पाए,
पानी ही जीवन है सबका, नदी न इससे दूषित हो पाए।
पूजा का पुष्प व अर्घ चढ़ाओ न इन पावन जल में,
न पुण्य की चाह में अस्थि करो विसर्जित इस जल में।
प्रभु पूजा का लो संकल्प अपने ही अनुरागी मन में,
प्रकृति पूजा से बढ़कर न पूजा कोई इस जीवन में।
दिल बहुत विशाल है भारत का, सभी का यहाँ ठहराव,
प्रेम ही बो लो दिलो में मत लाओ ईर्ष्या का भाव।
यह भारत माँ है सदियों से, प्यार निभाना सिखाती है,
संगठन की शक्ति क्या है, यह तुमको बतलाती है।
अपनी गंदगी को न विसर्जित करो बहती हुई नदी में,
समयानुसार सोच बदलो, न स्नान करो कभी नदी में।
नए युग के नए सपूतों, पुनः तुम ऐसा काम करो,
जल संरक्षण के लिए तत्पर हो, जग हिताय काम करो।
जल है तो यह जीवन है, यह बात सबने है मानी,
आज बचाओ जल, बहे न कल आँखों का पानी॥