श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************
आओ मिल के करें प्रतिज्ञा, हम सब रक्तदान को,
चलो मिलकर बढ़ाते हैं कदम, ऐसे पुण्य काम को।
भूलना नहीं, मनुष्य ही मनुष्य के काम आता है,
ना जाने किसके रक्त से, किसका प्राण बचाता है।
खुद भी आवश्यकता पड़ सकती है रक्तदान की,
इसलिए आज हम सब करें प्रतिज्ञा रक्तदान की।
हर मनुष्य के शरीर में, जब तक रहता है रक्त,
तब तक तन में प्राण का संचालन रहेगा, हर वक्त।
अचानक दुर्घटना होते ही, तन से रक्त बह जाता है,
जिसके कारण मनुष्य तुरन्त मर जाता है।
परिजन आवश्यकता पड़ने से तब रक्त ढूँढते हैं,
अभी भी दयालु बहुत हैं धरा में, वे रक्त दान करते हैं।
यदि किसी के रक्तदान से किसी का प्राण बचता है,
ऐसे रक्तदान प्रेमी को, हर भारतीय नमन करता है।
मानव यदि स्वस्थ है तो, जरूरी है करिए रक्तदान,
दौलत से भी मंहगा है, प्राण रक्षक रक्तदान॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है