ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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अस्तित्व बनाम नारी (महिला दिवस विशेष)…
ममता की मूरत हो तुम,
निश्छल प्रेम की सूरत हो तुम
तुम ही सृष्टि की रचयिता,
शुभ कार्य की जरूरत हो तुम।
रणचंडी-महाकाली हो तुम,
इस जग की रखवाली हो तुम
तुम ही सबसे सुंदर रचना,
हर घर की खुशहाली हो तुम।
रिश्तों की सच्चाई हो तुम,
समुद्र-सी गहराई हो तुम
तुझमें ही सारा जगत समाया,
अपनों की परछाई हो तुम।
खुसरो की पहेली हो तुम,
सुख-दुःख की सहेली हो तुम
तुम ही कविता, तुम ही ग़ज़ल हो,
दुल्हन-सी नवेली हो तुम।
आशा की अरुणाई हो तुम,
हृदय की करुणाई हो तुम
तुम ही आबो-हवा जीवन की,
मन चंचल पुरवाई हो तुम।
हर आँगन की तुलसी हो तुम,
विरह अग्नि में झुलसी हो तुम।
दुःख-तक़लीफों को सहती हरदम,
नारी नाजुक कली-सी हो तुम॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।