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गाँधी-शास्त्री को नमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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गांधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती (२अक्टूबर) विशेष…

हिंदी हिंदुस्तान की, राजभाषा महान।
गांधी-शास्त्री समर्थित, भारत जन पहचान॥

सत्य त्याग शालीनता, कर्म धर्म समुदार।
गांधी-शास्त्री युगल वे, स्वच्छ न्याय आधार॥

मार्ग अहिंसा विजय का, जीवन उच्च विचार।
रहा जिंदगी सादगी, किया देश उद्धार॥

अर्पित तन-मन-धन वतन, गाँधी शास्त्री साथ।
रामराज्य अभिलाष मन, सदा बढ़ाये हाथ॥

सर्वधर्म समभाव मन, शान्ति सुखद परमार्थ।
शिक्षा सब जन हो सुलभ, उन्नत राष्ट्र कृतार्थ।॥

वतन पुरोधा क्रान्ति का, मानक था संघर्ष।
हटी ब्रिटिश पराधीनता, आज़ादी उत्कर्ष॥

सम्वाहक नव प्रगति का, लेकर ध्वजा तिरंग।
दी अरुणिम स्वाधीनता, जीत गुलामी जंग॥

विकट समय नेतृत्व दे, जय किसान आबाद।
बन प्रधान नारा दिया, जय जवान अनुनाद॥

गुदड़ी का था लाल जो, देश बहादुर भक्त।
गाँधी से अनुरक्त मन, सत्य कर्म आशक्त॥

गाँधी की परिकल्पना, चहुँमुख जन उत्थान।
सहनशील समरस वतन, सार्वभौम मुस्कान॥

शास्त्र निपुण शासक प्रखर, शौर्य धीर गंभीर।
लाल भारती लाड़ला, शत्रुंजय रणवीर॥

अर्पण तन मन धन वतन, देकर निज बलिदान।
सुनहर बन इतिहास में, गाँधी शास्त्री मान॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥