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माँ अँधियारा हर ले

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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आदिशक्ति माँ दुर्गा (नवरात्रि विशेष)…

अम्बे मैया करूँ वंदना सुख-समृद्धि का वर दे,
भटक रहा में जाने कब से, मुझको अब तू घर दे।
जीवन में अब खुशहाली हो, हरियाली हो, मंगल-
मैं बन जाऊँ सच्चा मानव माँ ऐसा तू वर दे॥

सुख-समृद्धि रहे नित्य ही, जीवन सुमन खिलें,
कभी न विपदा आये मुझ पर, कंटक नहीं मिलें।
मैं तो तेरा लाल लाडला, अम्बे करो दया तुम-
पर्वत जो भी हैं राहों में, वे सब आज हिलें॥

सुख-समृद्धि के पल मैं पाऊँ, कभी नहीं क्षय हो,
हे अम्बे माँ साँच को देना, करुणा की लय हो।
कभी कपट मैं ना लिपटूँ मैं, लोभ से दूरी पाऊँ-
सदा मनुजता के पथ जाऊँ, प्रभुवर की जय हो॥

करूँ कामना सुख की नित ही, समृद्धि सहलाऊँ,
गरिमा से माता में रह लूँ, सब पर प्यार लुटाऊँ।
इस जग में अब तो हे माता!, तेरा ही शासन है-
मन की शुद्धि करूँ नित्य ही, गंगा रोज़ नहाऊँ॥

मानव दीन हो गया मैया, तू उजियारा दे,
बना हुआ पीड़ा का आलम, अँधियारा हर ले।
कोई नहीं राह दिखलाता, आस निराश हुईं-
बढ़कर हाथ पकड़कर माता, आज सहारा दे॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।