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उड़ती हैं भारत की बेटियाँ

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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आगे बढ़तीं, नहीं वह किसी से डरतीं,
सपनों को वह बुनतीं
पंख फैलाकर आसमान में,
उड़ती भारत की बेटियाँ…।

अपने भारत को खुशहाल बनाती,
देश को सम्मान दिलाती
कठिनाईयों में भी वह निडर होकर,
आगे बढ़तीं भारत की बेटियाँ…।

वह पुरुषों से कम नहीं,
हर एक परिस्थिति में बार निकलना जानती है
दु:ख-दर्द-तकलीफ़ में वह
दवा बन जाती हैं भारत की बेटियाँ…।

दुर्गा काली स्वरूपा वह,
रानी लक्ष्मीबाई व अहिल्या बन
समय आने पर हाथों में तलवार,
उठा लेती हैं भारत की बेटियाँ…।

नहीं किसी से कम,
उनमें है बहुत दम
वह अबला नहीं है
हैं सबला भारत की बेटियाँ…।

आज कन्धे से कन्धा मिलाकर,
चल रहीं हर एक क्षेत्र में।
अपना सिक्का जमा रहीं हैं
हर ओर भारत की बेटियाँ…॥