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प्रहार अब करो प्रचंड

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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आतंक, विनाश और ज़िंदगी (पहलगाम हमला विशेष)…

तोड़ो बंटवारे का समझौता,
फिर से भारत करो अखंड
सिंधु जल समझौता तोड़ा हमने,
युद्ध-प्रहार अब करो प्रचंड।

असफल हो गया पाकिस्तान,
वापस छीनो पाक निशान
सजा दो उनको कब्रिस्तान,
पाक को कर दो रेगिस्तान।

गरज रहा अब हिंदुस्तान,
मिट्टी में हो पाकिस्तान
मिटा दो उसके नाम-निशान,
कब्जे लो फिर हिंदुस्तान।

बड़े दबंग मेरे सैन्य जवान,
जल, थल, वायु एक समान
दुश्मन करे नत्मस्त सलाम,
जय भारत जय-जय श्रीराम।

महाभारत इतिहास की गाथा,
अखंडभारत है जन अभिलाषा
काटो आतंकी का सिर-माथा,
पाकिस्तान सुनेगा ऐसी भाषा।

इसी समय अब कब्जा कर लो,
लाहौर-कराची तिरंगा जड़ दो
‘सिंदूर’ आपरेशन बारूद से भर दो,
आतंकी देश ताबूत मे जड़ दो।

इस्लामाबाद से घोषित कर दो मिट्टी में आतंकिस्तान,
हुआ ये हिंदुस्तान, ध्वस्त है पाकिस्तान
भाग यहाँ से सब आतंकी तू जा अफ़ग़ानिस्तान,
नोंचो सारे झंडे उनके, लहराओ तिरंगा-लिख दो हिदुस्तान।

सेना बल पर हमें बहुत फख्र नाज है,
सैन्य शक्ति का दुनिया को अंदाज है
वर्षों बाद युद्ध का दमदार आगाज है,
हर क्षेत्र में नए हथियारों का साज है।

पराक्रम का अटूट बेजोड़ मिसाल है,
जला दिया अब जयघोष मशाल है
दुश्मन का समझो यह महाकाल है,
जज्बे में उनके भारत विशाल है।

क्षमता अद्भुत अब बेहद विकराल है,
तोड़ता हर जंजीर, महा-मायाजाल है
सोचे जब दुश्मन उसके पहले काल है,
सेना पर टिका मेरे भारत का भाल है।

मेरे देश की एकता का भी अजब कमाल है,
जांबाज सैनिक, पाक में घुसकर किया धमाल है।
भागते-चीखते पाकिए कांपते झेल रहे बवाल हैं,
मुख में उनके ‘जय हिन्द’ का नारा एक सवाल है॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। सम्मान-पुरस्कार में आपको महात्मा बुद्ध  सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान मिले हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”