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जय माँ जानकी

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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मैं सत्य हूँ, सृष्टि हूँ, सती साध्वी मैथिली सीता हूँ…
धरती पुत्री, धर्म धात्री, धर्मिणी पुनीता हूँ।

तुम क्या दशा, दिशा और मेरी प्रतीक्षा लिखोगे…
मनुष्यों! रहने दो तुम क्या मेरी समीक्षा करोगे।

जानते हो मैं क्यों पूजी जा रही हजारों वर्षों से…
तुम क्या जानो, क्यों मैंने गुजारा जीवन संघर्षों से।

मैंने तो कभी बताया नहीं है अपना मन…
मैंने तो कभी जताया नहीं है दु:ख गहन।

फिर तुमने, यह कैसे जान लिया मैं त्यागी गयी ? कथित हूँ…
ये जो मेरे राम पर लिखते-कहते हो, उस पर मैं व्यथित हूँ।

राम पुत्र है, राजा है, भाई है, क्षत्रिय है कुलवंशी है…
मानव तन में आए विधाता परमब्रह्म अंशी है।

जानते थे कलि मानव, पत्नी सिवा कोई कर्तव्य न जानेगा…
देश धर्म, मानवता, प्रजा, परिवार न मानेगा।

तुम्हें क्या करना, यह संविधान जीवन में जी गए…
तुमको जीवन मर्यादा समझाने मेरी विरहा पी गये।

भ्रष्ट मति से, अपने तुम उन पर ऊँगली उठाते हो…
क्यों मेरी आड़ ले कर अपना कल्मष छिपाते हो।

ओ कलयुगी नारीवादी, वामी, कामी राम द्रोहियों सुनो…
मेरे लिए हमदर्दी दिखा न, भोली जन को जाल बुनो।

मैं राजकुमारी, रानी शक्ति अंश, ‌मुझे कोई दु:ख कभी नहीं था,
राम-काज में हाथ बंटाने लिए ही नर तन जन्म लिया था।

कब-कब किस-किसको त्यागना राम ने सिखलाया था…
मेरे लिए स्वर्ण हिरण क्या, रावण का भी सिर लाया था।

चक्रवर्ती राज में कुमारों को, कठिन जीवन शिक्षा भी देना था…
न कि कौड़ी धन होते ही, नेताओं से विदेशों में ऐश में बच्चे ‘सेना‌’ था।

लव‌-कुश को लाहौर और कुशपुर अपने दम में बसाना था…
पिता के धन पुरुषार्थ में नेता बेटों से बैठे-बैठे नहीं खाना‌‌ था॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १ अक्टूबर १९६८ को हुआ है और जांजगीर-चाम्पा (छग) में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ एम.ए. तक शिक्षित होकर ब्राम्हण समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य (कविता, छंद, ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नित्य आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो विभिन्न संस्था-संस्थानों से आपने ४०० प्रशंसा-पत्र आदि हासिल किए हैं।आपके नाम प्रकाशित ६ एकल संग्रह-वीरानों के बागबां, साँस-साँस पर पहरे, अंजुरी भर समुंदर, कलयुग, निशिगंधा, शेफालिका, नील-नलीनी हैं तो ४५ साझा संग्रह में सहभागिता है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्त शिक्षिका श्रीमती तिवारी की लेखनी का उद्देश्य समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।