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मालती जी की रचनाओं से फ़िल्म निर्माताओं को सीखना चाहिए

‘स्मृति कल्प’…

इंदौर (मप्र)।

मालती जोशी जी की उत्कृष्ट रचनाओं को छापने में संपादक कभी नहीं थके। मालती जी ने अपनी रचनाओं में घर-घर की कहानियों व भारतीय परिवार व्यवस्था को उजागर किया, जिनसे ओ.टी.टी. व फ़िल्म निर्माताओं को सीखना चाहिए।
भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक व संचार विशेषज्ञ प्रो. संजय द्विवेदी ने अतिथि रूप में यह बात इंदौर में कही। अवसर रहा
जाल सभा ग्रह में पद्मश्री सम्मानित दिवंगत लेखिका स्व. श्रीमती मालती जोशी के जन्मदिवस के अवसर पर साहित्यिक आयोजन ‘स्मृति कल्प’ का, जिसमें अन्य विख्यात विद्वान और साहित्यिक व्यक्तित्व शामिल हुए।
वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति जैन ने मालती जी की कहानी ‘अपदस्थ’ का उदाहरण देते हुए मालती जी के विचारों की महानता का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि बालपन में माँ ने मालती जी की रचनाओं से परिचय कराया। मालती जी की नायिकाओं को अपनी बात मज़बूती से कहना आता था, उन्होंने मालती जी की रचनाओं की विशेषताएं बताई।
प्रसिद्ध लेखिका श्रीमती निर्मला भुराड़िया ने मालती जोशी के साथ अपने काफी सूक्ष्म, पर विशेष संबंध पर बात की। उन्होंने मालती जी के जीवन के कुछ किस्सों का उल्लेख किया।
अतिथियों के वचनों के पश्चात कथा वाचन की शुरूआत हुई। इसमें मालती जी की कुछ चुनिंदा कहानियों (ब्लू व्हेल गेम, शुभकामना आदि) का पठन हुआ।

आयोजन में पत्रकारिता जगत की हस्तियाँ तथा प्रसिद्ध रचनाकार उपस्थित रहे।