कुल पृष्ठ दर्शन : 19

You are currently viewing मेरा देश आगे बढ़ रहा…

मेरा देश आगे बढ़ रहा…

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
********************************

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
तरक्की रफ्तार चढ़ रहा है,
शहर तक गाँव बढ़ रहा है
बाजार का भाव चढ़ रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
पुलिया पर पुल चढ़ रहा है,
सड़कों का चौड़ापन बढ़ रहा है
राष्ट्रीय मार्ग रोज लंबाई गढ़ रहा है।
मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
रेल का विस्तार बढ़ रहा है,
मेट्रो रेल का विस्तार बढ़ रहा है
एयरपोर्ट गुलज़ार हो रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
निजी क्षेत्र हर बार बाढ़ चढ़ रहा है
रोजी-रोजगार खूब बढ़ रहा है,
सरकारी रिक्तियों में सूखा पड़ रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है,
नया युग अभियंत्रण पढ़ रहा है
आई.टी. क्षेत्र रोजगार गढ़ रहा है,
अभियंत्रण मूल छोड़ दुनिया बढ़ रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
अब तो पैसे की कमी नहीं देश में,
सड़कों की कमी नहीं मेरे देश में
गली-कूचे भी सड़कों जैसे हैं देश में।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
क्यूआर कोड बाजार गढ़ रहा है,
एटीएम गाँव-गलियों में चढ़ रहा है
सभी भुगतान मोबाइल से बढ़ रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
जिले-जिले में विश्वविद्यालय खुल रहा है,
गाँव-गाँव में इंजीनियरिंग कॉलेज खुल रहा है
लेकिन सरकारी कारखाना बंद हो रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
रेलवे में निजीकरण बढ़ रहा है,
उद्योग निजी क्षेत्र का बढ़ रहा है
स्वचालित निजी उद्योग से बेरोजगार बढ़ रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
सार्वजनिक-सरकारी कारखानों में ठेका प्रचलन बढ़ रहा है,
देख इस पद्धति को निजी उद्योग में अनुसरण बढ़ रहा है
स्थिति शिक्षा जगत की, जहाँ शिक्षक अस्थायी सड़ रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
हिन्दी विद्यालयों में अंग्रेजी चलन बढ़ रहा है,
अंग्रेजी विद्यालयों में हिन्दी चलन चल रहा है
अपने ही हाथों मेरा हिन्दुस्तान जल रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
राष्ट्रभाषा की आग में देश उबल रहा है
राजभाषा के नाम पर कोई छल रहा है,
मराठी मानुष क्षेत्रीय भाषा ले उछल रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
सड़कों पर साइकिल कहाँ, ‘टोटो’ बढ़ रहा है,
मोटर साइकल से ज्यादा चारपहिया बढ़ रहा है
मकान कहाँ, बहुमंजिला भवन बढ़ रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
पुलिस विभाग उच्च तकनीक को तरस रहा है,
साइबर क्राइम से हर रोज आम आदमी त्रस्त हो रहा है
अपराधियों की गोलियों से खूनी खेल चल रहा है।

मेरा देश आगे बढ़ रहा है-
जमीनों का अवैध कब्जा ढह रहा है।
८० करोड़ लोगों को राशन मिल रहा है,
न्याय अपने ही आँसू से अन्याय को सह रहा है॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। सम्मान-पुरस्कार में आपको महात्मा बुद्ध  सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान मिले हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”