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राष्ट्रभाषा बने एक दिन

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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सारी जनता भारत की जब,
इसको गले लगाएगी।
विश्वगगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएगी॥

हिंदी के पहरेदारों से,
मेरी सतत यही आशा।
राष्ट्रभाषा बने एक दिन,
हिंदी ये है अभिलाषा॥
हिंदी में साहित्य सृजन ही,
नई भोर को लाएगी।
विश्व गगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएगी…॥

हिंदी को माँ समझने वालों,
हिंदी में व्यवहार करो।
लिखना-पढ़ना हिंदी में हो,
मत इससे इनकार करो॥
गौरवमयी राष्ट्रभाषा की,
पदवी जब मिल जाएगी।
विश्वगगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएगी…॥

तमिल तेलुगू मलयालम हो,
भले मराठी गुजराती।
सब हिंदी की छोटी बहनें,
कोई नहीं खुराफाती॥
बड़ी बहन का साथ दिया तो,
शिखर नए छू पाएगी।
विश्व गगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएगी…॥

चाहे जितनी भाषा सीखें,
हिंदी का सम्मान करें।
ममता सदा मातृभाषा ही,
दे सकती है ध्यान करें॥
‘अनंत’ गर जन-जन तक हिंदी,
पहुंची तो रंग लाएगी।
विश्वगगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएगी…॥

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