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देश जूझता आज तुम्हारा

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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गांधी जयंती विशेष…..

दु:ख देते हैं जानबूझ कर,दुखियारों को बापू।
महिमामंडित करते हैं हम,हत्यारों को बापूll

देश जूझता आज तुम्हारा,मजधारों में पल-पल,
बढ़ते हैं विपरीत दिशा में,छलिया करते हैं छलl
बेच रहे हैं धनवानों को,निर्धन के हक सारे,
श्रमजीवी मजबूर हो गए,फिरते मारे-मारेll
गिरवी रखने को आतुर घर,दीवारों को बापू,
महिमामंडित करते हैं हम,हत्यारों को बापू… ll

व्यक्ति पूजा करने वाले,देशभक्त कहलाते,
देशभक्त बेबस लगते हैं,देश निकाला पातेl
रहे प्रिय जो भारत माँ को,अपमानित होते हैं,
मन की कहने किससे जाएं,मन ही मन रोते हैं॥
करते तेज अहिंसावादी तलवारों को बापू,
महिमामंडित करते हैं हम,हत्यारों को बापू… ॥

सत्य अहिंसा सत्याग्रह के,अब लाले पड़ते हैं,
देशद्रोहियों के सीनों पर,हम मैडल जड़ते हैं।
देश उसी का माना जाता,जिसने अपना माना,
नाम भले कुछ धर्म भले कुछ,जिसका देश ठिकाना॥
कुछ नाबीना न्योत रहे हैं,अंधियारों को बापू।
महिमामंडित करते घोषित,हम हारों को बापू-बापू,
महिमामंडित करते हैं हम,हत्यारों को बापू… ॥

प्रजातंत्र की करें वकालत,वंशवाद के रक्षक,
सेवा के पथ को त्यागा है,बने हुए हैं भक्षक।
जनकल्याण रखा खूंटी पर,अपना घर भरते हैं,
अपराधी रहबर बन बैठे,कब किससे डरते हैं॥
‘अनंत’ विजयी घोषित करते,हम हारों को बापू,
महिमामंडित करते हैं हम,हत्यारों को बापू॥

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