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प्यार हमें निजभाष से

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष….

प्यार हमें निज भाष से,यही हमारी शान।
हमको इस पर गर्व है,यही राष्ट्र का मान॥

मातृभाष के मान से,होता राष्ट्र महान।
निजभाषा से एकता,अरु होता है ज्ञान॥

आजादी के यज्ञ में मातृभाष का योग।
निज भाषा से उन्नती,परभाषा है रोग॥

निजभाषा अपनाइये,रखो उसी का ध्यान।
हमको इस पर गर्व है,मातृभूमि की आन॥

मान करो निजभाष पर,यह विकास का मूल।
प्रेम करें निज भूमि से,करें न इसमें भूल॥

हिंदी बिंदी भाल की,संस्कृत इसकी मात।
दिल में रहती हैं सदा,मिली हमें सौगात॥

शब्दकोश अरु व्याकरण,हिंदी है धनवान।
देवनागरी है लिपी,हिंदी में है ज्ञान॥

सृजन करो साहित्य का,हिंदी को दें मान।
मनुज बिना साहित्य के,होत है पशु समान॥

तत्सम-तद्भव शब्द से,हिंदी होय समृद्ध।
उर्दू अरबी फारसी,करते इसको ऋद्ध॥

सबके तन-मन में बसे,हिंदी के ही बोल।
हिंदी हिंदुस्तान की,भाषा है अनमोल॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को ग्राम बड़ियाल कलां(बांदीकुई,राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत ,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तकें प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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