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लोकतंत्र के लाड़ले कवि अटल बिहारी

कन्हैया साहू ‘अमित’
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष……….

लोकतंत्र के लसित लाड़ले,कविवर अटल बिहारी।
राजनीति का सफल सिपाही,जन-जन हैं आभारीll

कृष्ण बिहारी के घर जन्में,कोख मातु श्री कृष्णा।
भूमि ग्वालियर पर जब आये,बिसरा जग की तृष्णाll
सिद्धहस्त कविराज पिताजी,रहे एक अध्यापक।
मिला सृजन का गुण वंशागत,जनक काव्य संस्थापकll
‘विजय पताका’ पढ़कर तब तो,अटल हुए अनुहारी।
लोकतंत्र के लसित लाड़ले,कविवर अटल बिहारी…ll

स्वयं संघ सेवक सत्धर्मी,निष्ठावान संचालक।
राजनीति की शिक्षा ग्राही,राष्ट्रधर्म उद्धारकll
पत्र-पत्रिकाओं में लिखना,कार्य रहा सम्पादन।
हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन,सत्यपरक संवादनll
नमिता दत्तक पुत्री उनकी,थे अटल ब्रह्मचारी।
लोकतंत्र के लसित लाड़ले,कविवर अटल बिहारी…ll

संसद के गलियारे में जब,पहुँचा कविवर बंदी।
विपुल विरोधी मिलकर चलते,बन अविरत अभिनंदीll
उच्च शिखर सिंहासन पहुँचे,लेकर स्वर्णिम सविता।
खट्टे-मीठे अनुभव संग्रह,है इक्यावन कविताll
रत्नराज इस भारत के वे,जनहित सेवाधारी।
लोकतंत्र के लसित लाड़ले,कविवर अटल बिहारी…ll

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