भारतीय सभ्यता और संस्कृति

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- चैत्र प्रतिप्रदा आने की ही इंतजारी है, सांस्कृतिक त्योहार अब मनाने की बारी है। उपेक्षा मत किया कीजिये इसकी, विरासतों को भूलना भयंकर भूल…

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नयी उम्मींदे-नया आसमां

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* महफ़िलों का दौर चलता रहे, नयी उम्मीद संग नया आसमांl ऋतुएँ सिखाती बनना नया, नये पुष्प सुगंध देते जो मिले पशु-पक्षी नव कलरव…

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भोले भंडारी आ जाओ

लालचन्द्र यादव आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** भोले भंडारी आ जाओ, प्रभु नौका पार लगा जाओ। प्रभु लोभ,मोह,मद,माया को, दो,ज्ञान सुधा इस काया को प्रभु हम से दूर भगा जाओl प्रभु…

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हिम्मत

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** ध्येय मार्ग पर चलते जाएँ, हिम्मत कभी न हारें। दूरी कितनी भी लंबी हो, आगे बढ़ते जाएँll लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर, पथ-पथ कदम बढ़ायें। अपने…

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तीन जोड़ी पायल…

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** जबसे मैंने सुनना सीखा सुनकर गुनना सीखा, तब से मैं पहचानता हूँ पायल को और उसकी छनछन को। पहले जब मैं भूख से बिलखकर…

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भाषा और संस्कृति:एक सत्यान्वेषण

छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** एक सत्य साहित्यसेवी के संदर्भ में हर बार दोहराना चाहता हूँ कि वह जीवन की सौंदर्य अनुभूति से आह्लादित होकर या कला…

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जै जै राम जै श्री राम

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** जै जै राम जै श्री राम, जै जै राम जै श्री राम। मन मंदिर में राम बसा ले, तेरे बनेंगे बिगड़े काम॥ राम…

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आज ज़रूरत है कबीर की

पवन कुमार ‘पवन’  सीतापुर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************** चाटुकारिता जिसे न आये, कविता में केवल सच गाये। झूठे आडम्बर को तजकर, ढाई आखर प्रेम सिखाये॥ चाहत है उस कलमवीर की, आज ज़रूरत…

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मेरे भीतर मेरा क्या है

श्रीकृष्ण शुक्ल मुरादाबाद(उत्तरप्रदेश)  ***************************************************************** तन भी नश्वर मन भी नश्वर, जरा सोच फिर,तेरा क्या है नहीं आज तक जान सका मैं, मेरे भीतर मेरा क्या है। ह्रदय सतत् स्पंदन करता,…

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भारत वंदना

प्रियांशु तिवारी ‘वात्सल्य’ लखनऊ( उत्तरप्रदेश) **************************************************************************** भाग-१ यहां चहकती सुबह होती, मतवाली हर शाम है होंठों पर यहां सबके होता, राम कृष्ण का नाम है। हर पल बहती रहती यहां…

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