तब तुम मेरे पास आना प्रिये

निक्की शर्मा `रश्मि`मुम्बई (महाराष्ट्र)********************************************* अंतर्मन की लहरें पग-पग उठने लगे,यौवन भी जब पल-पल महकने लगेप्यार के फूल कलियां जब खिलने लगे,…तब तुम मेरे पास आना प्रिये। सुरमई सांझ भी जब…

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मिले प्रतिष्ठा तब वतन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************* समझो ये चेतावनी,करे जो देश विरोध।भूल प्रतिष्ठा वतन की,बने प्रगति अवरोध॥ शौर्य वीर सीमा वतन,उद्यत नित बलिदान।तजो स्वार्थ द्रोही वतन,करो राष्ट्र सम्मान॥ तभी प्रतिष्ठा…

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हँसी में उदासी

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ सोंचा ज़िन्दगी रौशन हुई है हमारी,पता न था वो गुनाहों से घुली-मिली है। क़िस्मत थी कभी मेरी हमसफ़र,वो परिंदे-सी आज़ाद मनचली है। नसीबा इस क़दर रूठ जायेगा मेरा,आँख…

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बसन्त सुखदाई

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** धरा ने धानी चुनर है लहराई,देख पवन भी है मुस्कुराई। टेसू पलाश खिलने लगे,पीत सरसों गले मिलने लगे। अमराई में कोयल गाये,आम्र मंजरियाँ मन को भाए। छेड़े तान…

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अपराधों का कानून से रुकना संभव नहीं

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)************************************* सामयिक चिंतन.... जब से सृष्टि का उदय हुआ और मानव युगल में हुए,तब से अपराध-पाप आदि शुरू हुए। कारण मानव में मन होने से वह सबसे अधिक समाज…

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लोकतंत्र:भारत को मनोबल ऊँचा रखना होगा

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* भारत में लोकतंत्र की हालत क्या है,इस मुद्दे पर हमारे देश में और दुनिया में आजकल बहस तेज हो गई है। इस बहस को धार दे दी…

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अन्याय

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************* नाम की जांच-अन्दर साठ-गांठ,केवल नाच। मिला न्याय-थके आँख-कान भी,हुआ अन्याय। धरने पर बैठे-खोजते परिणाम,गूलर फूल। परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैL २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में…

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शिष्य मंडल ने मनाया राष्ट्रकवि सत्यनारायण ‘सत्तन’ का जन्मदिवस

इंदौर (म प्र)। देश में राष्ट्रकवि के रूप में प्रतिष्ठित व सम्मानित इंदौर नगर के काव्य शिरोमणि सत्यनारायण 'सत्तन' का जन्मदिवस एक आयोजन के रूप में मनाया गया। नगर तथा…

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हरिभक्ति

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** अँधियार चारों ओर बिखरा,सूझता कुछ भी नहीं।उजियार तरसा राह को अब,बूझता कुछ भी नहीं॥उत्थान लगता है पतन सा,काल कैसा आ गया।जीवन लगे अब बोझ हे…

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करो ना बदनाम मोहब्बत को

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** लुटा कर सब-कुछ अपना,तुम्हें खुश नहीं कर पाएजमाने की खाकर ठोकर,संभल तुम नहीं पाए।अपने और परायों को,नहीं पहचान तुम पाएक्योंकि तुम खुद किसी के,दिल में जगह नहीं…

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