कुल पृष्ठ दर्शन : 210

You are currently viewing करो ना बदनाम मोहब्बत को

करो ना बदनाम मोहब्बत को

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

********************************************

लुटा कर सब-कुछ अपना,
तुम्हें खुश नहीं कर पाए
जमाने की खाकर ठोकर,
संभल तुम नहीं पाए।
अपने और परायों को,
नहीं पहचान तुम पाए
क्योंकि तुम खुद किसी के,
दिल में जगह नहीं बना पाए॥

कसम खा खा कर तुमने,
न जाने कितनों को लूटा
न जाने कितनों को तुमने,
अपनी अदाओं से लूटा।
तभी तो लोगों ने तुमसे,
अपना मुँह मोड़ लिया
और जमाने में तुम्हें,
अकेला छोड़ दिया॥

मोहब्बत के नाम पर तुमने,
न जाने कितने दिल तोड़े
न जाने कितनों को तुमने,
मोहब्बत करना भुला दिया।
न जाने कितनों का तुमने,
घर-संसार को मिटा दिया
जो अब न जीने में है,
और न ही मरने में है॥

अपने हुस्न के बल पर,
कुछ दिन ही जी पाओगे
फिर ढलती उम्र में तुम,
किसके पास जाओगे।
कहीं तुमको भी कोई,
तुम्हारे जैसा मिल जाए
और तुमको भी तुम्हारी,
करनी का फल मिल जाए॥

करो ना तुम बदनाम,
मोहब्बत जैसे शब्द को
मोहब्बत करने वाले,
लगा देते इसमें जीवन को।
तभी अपनी मोहब्बत को,
परवान चढ़ा पाते हैं।
और अपनी मोहब्बत को,
अमर दुनिया में कर जाते हैं॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

Leave a Reply