बनो जगत आशा किरण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************** चलें सदा सत्कर्म पथ,रखें ताज़गी जोश।धीर वीर साहस प्रबल,कभी न खोएँ होश॥ सदा नयापन सोच हो,दृढ़ता हो नित ध्येय।सच्चाई हो साथ में,मानवता हो गेय॥ रुकावटें टूटें सभी,हो कठिनाई दूर।स्वाभिमान सत्संग से,रच दो नव दस्तूर॥ यायावर नित सीढ़ियाँ,बने सदा संघर्ष।बने विवेकी मति रथी,न्याय विजय उत्कर्ष॥ करें प्रतीक्षा वक्त का,रच साँचा … Read more

मेरी पहचान

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************************************** माता-पिता को है शत-शत नमन,सम्मान,जिन्होंने बनाया है मुझे,अच्छा इन्सान। आज जो कुछ भी मैं हूँ,जैसा भी मैं हूँ,उन्हीं के आशीर्वाद ने दी है मुझे पहचान। क्या है मेरी पहचान,माकूल सवाल है ये,जिंदगी की राह पे मेरे कदमों के निशान। दिल-दिमाग नहीं बंटे हैं मेरे धर्म-जाति पर,सबसे पहले मैं हिंदुस्तानी,मेरा हिंदुस्तान। उठती … Read more

विघ्नहर्ता करें सबका कल्याण

डॉ. अंबुजा एन. मलखेडकर ‘सुवना’कलबुर्गी(कर्नाटक)**************************************** श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष….. सहन का बांध टूट पड़ा,अधर्म अन्याय अनीति परविघ्नहर्ता विघ्न बन टूट पड़ा। चारों ओर अतिवृष्टि अनावृष्टि,तरह-तरह के रोग महारोगसहन का बांध टूट पड़ा,विघ्नहर्ता विघ्न बन टूट पड़ा…। चंदा वसूली प्रसाद घोटाला,नाच गाना,नशा,मौज-मस्ती परविघ्नहर्ता विघ्न बन टूट पड़ा,सहन का बांध टूट पड़ा…। लेकर प्रभु नाम स्वार्थ … Read more

प्रकृति संरक्षक व दिव्यज्ञान के प्रतीक श्री गणेश जी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************** श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष….. ईश्वर निराकार है। एक होकर भी उसने अनेक रूप धारण किए। स्वयं भगवान कहते हैं,-‘एकोऽहं बहुस्याम’,अर्थात में एक होकर भी अनेक रूप धारण करता हूँ। संसार में विभिन्न लीलाएं रचने,संसार को मार्गदर्शन देने,संसार में सभी प्रकार की मर्यादाएं व व्यवस्थाएं बनाने,भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन … Read more

कोरोना:विकास के संतुलन पर गंभीरता से सोचना होगा

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ****************************************************** ‘कोरोना’ विषाणु से पैदा हुई महामारी ने वैश्विक समाज और प्रशासन की तमाम कमजोरियों को उजागर कर दिया है,साथ ही इस खतरनाक संकट से आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखाया है। कोविड-१९ की यह खतरनाक बीमारी जो असमय ही मनुष्य जीवन पर हावी हो गई है,ऐसा संकट है जो मनुष्य जाति … Read more

बूढ़ों का देश कहलाएगा भारत सिर्फ १६ साल बाद!

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** आजादी की वर्षगांठ पर स्वतंत्रता की खुशियों के साथ-साथ एक बड़ा और चिंताजनक सवाल भी दस्तक दे रहा है कि,एक तरफ हम अपनी युवा आबादी को काम नहीं दे पा रहे हैं,दूसरी तरफ भारत धीरे-धीरे बूढ़ों के देश में तब्दील होने जा रहा है। यह कोई दूर की कौड़ी नहीं है,केवल १६ … Read more

जुल्मी

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* हर युग में मिलते रहे जुल्मी,जिसने भी यहां राज किया।गया बाबर तो अंग्रजों ने,जम कर अत्याचार किया। कितने चढ़े सूली पर यहां,कितनों का खून हुआ होगा।तब भी जुल्मी नर पिशाचों का,कभी पेट नहीं भरा होगा। अब भी देखो चौराहों पर,क्या लाठी-डंडे चलते हैं।जिनके अंदर भाव जुल्मी,वो जुल्म हमेशा करते … Read more

विघ्नहर्ता गणेश जी

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’ महासमुंद(छत्तीसगढ़) *********************************************************************** गणेश चतुर्थी विशेष……….. यह जग कहता आपको,विघ्नहर्ता गणेश जी,आपके नाम से काम शुरू,करते मनु-देवेश भी।हे गणेशजी विघ्नहर्ता जल्दी विघ्न दूर कर दो,बहुत बड़ी विपत्ति देश में उसको चकनाचूर दो।सूझ-बूझ,बुद्धि-शक्ति,तर्क हजारों पास तुम्हारे,हे विघ्नहर्ता कृपा करो,टूटे ना विश्वास हमारे।हम अज्ञानी मूर्ख प्राणी,पल में विचलित हो जाते हैं,हे विघ्नहर्ता विघ्न हरो,आपके पग … Read more

प्रतिशोध

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** तुम्हारे प्रतिशोध की ज्वाला,मुझे जला नही पाएगीमेरी तपिश इतनी है कि,तुम्हारी प्रतिशोध की आग मेरीरूह को एक तिनके-सी नजर आएगी।लाख डुबोना चाहो गर तुम,हमें दर्द के सैलाब में…आँसूओं का दरिया दिल में गहरा है इतना के,प्रयास सारे हमें गमगीन कर जाने केनिरर्थक ही हो जाएंगे।बस भी करो,अपना होकर वीरानों-सा वर्तन,मुखौटों के पीछे … Read more

गजानन बनना इतना आसान कहाँ…!

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)****************************************************************** गणेश चतुर्थी विशेष……….. क्या कर सकेगा कोई,दृढ़ता से,गणेश की तरह,अपनी माँ की रक्षा!रक्षा की प्रतिबद्धता में जो,सर तक कटाने के लिए रहे अटल!माँ के लिए जिनके भाव रहे,अमृत की तरह निर्मलll क्या कर सकेगा कोई उनके जैसी,मातृ-पितृ भक्ति!उनमें ही नज़र आ गए जिन्हें,ब्रम्हांड के तीनों लोक!उनकी ही तीन परिक्रमा की फ़िर,लगा ली बेहतर … Read more