कुल पृष्ठ दर्शन : 592

मेरी पहचान

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

***************************************************************

माता-पिता को है शत-शत नमन,सम्मान,
जिन्होंने बनाया है मुझे,अच्छा इन्सान।

आज जो कुछ भी मैं हूँ,जैसा भी मैं हूँ,
उन्हीं के आशीर्वाद ने दी है मुझे पहचान।

क्या है मेरी पहचान,माकूल सवाल है ये,
जिंदगी की राह पे मेरे कदमों के निशान।

दिल-दिमाग नहीं बंटे हैं मेरे धर्म-जाति पर,
सबसे पहले मैं हिंदुस्तानी,मेरा हिंदुस्तान।

उठती है बात दिल में,लिखता कागज पर,
तारीफों का मुझे कभी नहीं,रहा गुमान।

जो दिल में होता है,दिखता है मेरे चेहरे पे,
ना मेरे आँसू नकली,ना नकली है मुस्कान।

गुम नहीं हैं मेरे विचार किसी की गुलामी में,
स्वच्छंद अभिव्यक्ति ही है मेरा अभिमान।

नहीं करता गरूर मैं कभी अपने-आप पर,
पतंग उड़े ऊंची मेरी,रहती हवा मेहरबान।

मुझे भरोसा रहता है खुद ही पे हमेशा,
ना तो खुदा मेहरबान,ना गधा पहलवान।

पल की ही ना खबर रखूं,सोचता दूर की,
बीते से सबक लेता,रखता हूँ इत्मीनान।

जैसा,जैसे बन पड़े,कुछ मदद करता हूँ,
समाज का अंग हूँ,नहीं हूँ मैं कोई मेहमान।

लोग कहते हैं जाने क्या-क्या मेरे बारे में,
परवाह करता नहीं,क्या कर लेगा ये जहान।

उपर वाला एक है, ‘देवेश’ को रहता है भान,
राम भी मेरा लगे मुझे,मेरा ही लगे रहमान॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

Leave a Reply