पिंजरा
कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** ये पिंजरा और पक्षी दोनों ही इंसान की जिंदगी से जुड़े हैं,कुछ ऐसा ही रिश्ता है इंसान का अपनी रिश्तों की डोर सेl तुम जितना रिश्तों को चार दीवारी में बंद करना चाहोगे,जितना उसे प्यार और विश्वास के नाम पर बांधकर रखना चाहोगे,तुम चाहोगे कि,वो हर पल पास हो,सामने हो नजरों के … Read more