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तुलसी

संदीप ‘सरस’
सीतापुर(उत्तरप्रदेश)
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महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष

तुलसीे ने राम का चरित्र जिया जीवन में,
भक्ति की उदात्त भावनाओं को उभारा था।
दोहावली गीतावली रामलला नहछू,
विनय पत्रिका को लिख सृजन सँवारा था।

हुलसी के लाल तुलसी ने रच मानस को,
मानव के मानस में मानस उतारा था।
जन्मते ही तुलसी स्वभावतः रोये नहीं,
सुखद स्वरों में राम नाम को पुकारा था।

रामबोला राम बोल-बोल के अमर हुए,
राम की धरा पे धर्म ध्वज लहरा गए।
विषम परिस्थिति में लेखनी अबाध रही,
सकल समाज मध्य भक्ति उमगा गए।

रतनावली के बस एक ही उलाहना से,
काम भावना को तज राम में समा गए।
हुलसी सपूत तुलसी अखिल विश्व हेतु,
मानव को मानवीय पथ दिखला गएll

परिचय-साहित्य जगत में संदीप मिश्र जाना-पहचाना नाम है,जो उत्तरप्रदेश के बिसवाँ(जिला-सीतापुर) में रहते हैंl सम्प्रति से कवि,साहित्यकार और समीक्षक के साथ ही संस्थापक-संयोजक(साहित्य मंच)तथा साहित्य सम्पादक (दैनिक समाचार-पत्र में) हैंl आपकी विशेष उपलब्धि कविता कोश व दोहा कोश में रचनाएँ सम्मिलित होना, राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं सहित टी.वी. चैनल,रेडियो से रचनाएं प्रकाशित-प्रसारित व पुरस्कृत होना हैl इनकी लेखन विधा-पद्य तथा गद्य भी हैl ५ जुलाई १९७५ को बिसवाँ में जन्मे श्री मिश्र ने एम.ए.(हिन्दी साहित्य)की शिक्षा हासिल की हैl प्रकाशन में आपके नाम-`कुछ ग़ज़लें कुछ गीत हमारे`(काव्य संकलन)तथा कई साझा संकलन भी हैंl ऐसे ही शीघ्र प्रकाश्य-गीत संग्रह एवं ग़ज़ल संग्रह आदि हैंl कार्यक्षेत्र-साहित्य तथा पत्रकारिता हैl कई अखबारों में नियमित स्तम्भ प्रकाशित कराते रहने तथा नियमित समीक्षा स्तम्भ में भी सौ से अधिक पुस्तकों की समीक्षा कर चुके `सरस` को सम्मान के निमित्त-उत्तर प्रदेश से बाल कविता हेतु पुरस्कृत(१९९४),साहित्य एवं पत्रकारिता के लिए पुरस्कृत (१९९६),साहित्य गौरव सम्मान(१९९७),सृजन सम्मान(१९९८),युवा कवि पुरस्कार(१९९९) तथा नेपाल द्वारा सन्त तुलसी स्मृति सम्मान(२०१९) सहित अन्य से भी सम्मानित किया गया हैl

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