प्रियंका सौरभ
हिसार(हरियाणा)
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बैठ न सौरभ हार के,रखना इतना ध्यान,
चलने से राहें खुले,हो मंजिल का भानl
सुख में क्या है ढूंढ़ता,तू अपनी पहचान,
संघर्षों में जो पले,बनते वही महानl
संबंध स्वार्थ से जुड़े,कब देते बलिदान,
वक्त पड़े पर टूटते,शोक न कर नादानl
आंधी या बरसात हो,सहते एक समान,
जीवन पथ पर वो सदा,रचते नए विधानl
भूल गए हम साधना,भूल गए हैं राम,
मंदिर-मस्जिद फेर में,उलझे आठों यामl
रहे सदा तू एक-सा,करना मत ये ख्याल,
धन-तन सभी बिखेर दे,आया एक बवालl
औरों की जब बात हो,करते लाख बवाल,
बीती अपने-आप पर,भूले सभी सवालl