भीकम चन्द जांगिड़ ‘भयंकर’
अजमेर ( राजस्थान)
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काव्य संग्रह हम और तुम से
तन्हाईयों में ही तो मैं तुमको याद करता हूँ,
यादों में गीत तेरे ही तो गुनगुनाता हूँ।
हर रात तेरे नाम का दिया जलाता हूँ,
चाँद-तारों से तेरी मैं बात करता हूँ।
सपने बुने जो तूने-मैंने याद करता हूँ,
दिल में बसी हो मेरे तुमको साथ रखता हूँ।
होती जो सामने छुपी मुस्कान देता हूँ,
दिल में छुपा के अपने तो जज्बात रखता हूँ।
उंगली उठे न तुझपे ये खयाल रखता हूँ,
इश्क में मर्यादा का भी ध्यान रखता हूँ।
गरीब हूँ मगर मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
सपनों में ही तो मैं तुम्हारे रोज आता हूँ।
चाहूँ जो भूलना भी तो ना भूल पाता हूँ,
जज्बात तेरे दिल के उनको मैं जगाता हूँ।
दिल-ए-सागर में तेरे ही तो ज्वार बन के आता हूँ,
तेरे मन की वीणा को झन्कार देता हूँ॥
तन्हाईयों में ही तो…