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भारतीय भाषाओं के भीष्म प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी का प्रयाण…

दिल्ली।

भारतीय भाषाओं के भीष्म प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी का प्रयाण हो गया। उनके निधन से हिंदी भाषा विज्ञान तथा अनुवाद जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। ‘कोरोना’ ने संभवत एक और भाषा ज्ञानी को सबसे छीन लिया।
जुलाई १९४२ में जन्में कृष्ण कुमार की
शिक्षा-एम.ए.,एम. लिट.(भाषा विज्ञान) और पी-एच.डी. रही। आपकी विशेषज्ञता-भाषा विज्ञान,अनुवाद,कोशविज्ञान,शैली विज्ञान,समाजभाषा विज्ञान,भाषा प्रोद्यौगिकी,प्रयोजनमूलक हिन्दी और साहित्य थी।
आपके शैक्षिक व्याकरण और व्यावहारिक हिन्दी एवं शैली विज्ञान और रामचंद्र शुक्ल की भाषा सहित अनुवाद विज्ञान की भूमिका आदि १२ पुस्तकें तथा लगभग २०० शोध लेख तथा आलेख प्रकाशित हुए। साहित्य भाषा और साहित्य शिक्षण, दक्खिनी भाषा और साहित्य:विश्लेषण की दिशाएँ आदि।
आपने पुस्तकें सम्पादित की तो कोश(अंग्रेज़ी-
पंजाबी:पंजाबी-अंग्रेज़ी शब्दकोशअंग्रेज़ी-हिन्दी पदबंध कोश,अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश)भी सृजित किए। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित केन्द्रीय हिंदी समिति के सदस्य,भारत सरकार की हिन्दी सलाहकार समितियों,सरकारी विश्वविद्यालयों और अनेक शैक्षिक संस्थाओं की समितियों में सक्रिय सदस्य तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा की कार्य परिषद में सदस्य भी आप रहे।
हिंदीभाषा डॉट कॉम से बतौर रचनाशिल्पी जुड़े रहे नई दिल्ली वासी डॉ. गोस्वामी को शरीर छोड़ने से पहले तीन-चार दिनों से बुख़ार की शिकायत थी,पर न कोरोना परीक्षण हो पाया और न ही अस्पताल में उन्हें चिकित्सा सुविधा मिल सकी। अंततः २३ अप्रैल की दोपहर में उनका निधन हो गया।

भाषा विज्ञान के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. गोस्वामी के निधन पर हिंदीभाषा डॉट कॉम (www.hindibhashaa.com) परिवार एवं सम्पादक-संस्थापक अजय जैन ‘विकल्प’ ने श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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