शिक्षा जगत की तस्वीर कई स्तरों पर बदलने की जरूरत
प्रेमपाल शर्मा **************************************************************** खुशी की बात यह है कि ३० मई को नई सरकार के शपथ ग्रहण करने से पहले ही १०० दिन के जो लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं,उसमें…
प्रेमपाल शर्मा **************************************************************** खुशी की बात यह है कि ३० मई को नई सरकार के शपथ ग्रहण करने से पहले ही १०० दिन के जो लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं,उसमें…
सुनील जैन राही पालम गांव(नई दिल्ली) ******************************************************** आओ कचरा करें। तू मेरा कचरा कर,मैं तेरा कचरा करुं और फिर उस कचरे को एक-दूसरे पर फेंक कर कचरा-कचरा खेलें। कचरा करना बुरा…
संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश) ****************************************************** कबीर जयंती विशेष १७ जून.................... भारतीय लोक परम्परा के जनकवियों में संत कबीर का नाम सबसे अग्रणी है। कबीर गृहस्थ संत थे,भक्त थे,कवि थे जीवनचर्या…
अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** नारी की शोभा बढ़े,लगा बिंदिया माथ, कमर मटकती है कभी,लुभा रही है नाथ। कजरारी आँखें हुई,काजल जैसी रात, सपनों में आकर कहे,मुझसे मन की बात। कानों…
ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** इक दिन मिला विधाता मुझको लिये हाथ में झोला, और लरजते अधरों से वो धीरे से यूँ बोला। जीवन में हैं कष्ट अनेक ताप और…
इंदौर। श्रीराम दवे की कविताओं में एक विचलित नागरिक है,और समकाल में घटते हुए से परेशान होता है। यह ईमानदारी से लिखी गई कविताएँ हैं। यह बात चित्रकार,चिंतक और कथाकार…
शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************************************************************ सम-सामयिक मुद्दा............... पिछले दिनों देश में एक के बाद एक बच्चियों के साथ बलात्कार और दर्दनाक हत्या की खबरें आ रही हैं। पूरे देश को…
अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* १६ जून `पितृ दिवस’ विशेष… पिता पालक, घर के संचालक- मान दीजिए। पिता ही ज्ञान, छाया है अनमोल- साथ दीजिए। पिता ही आन, पिता ही…
डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* (रचनाशिल्प:१२२ १२२ १२२ १२२) कोई कैसे समझे मुसीबत हमारी, मुझे तो पता है विवशता तुम्हारी। सिमटती हुई रौशनी के सहारे, सफ़र है तुम्हारा अँधेरों में जारी।…
निशा गुप्ता देहरादून (उत्तराखंड) ************************************************************* कैसा प्रेम,किसका प्रेम, कौन करे किस पर विश्वास। प्यार शब्द अब खो गया, हो गया अब ये आभास। हमेशा गद्दारी उसने ही की, जिस पर…