धन
विरेन्द्र कुमार साहू गरियाबंद (छत्तीसगढ़) ****************************************************** हो यदि पाना चाहते,धन वैभव पद खास। सुखी रखो माँ-बाप को,बनकर उनके दास॥ धन जग में सब कुछ नहीं,है यह सच्ची बात। लेकिन धन…
विरेन्द्र कुमार साहू गरियाबंद (छत्तीसगढ़) ****************************************************** हो यदि पाना चाहते,धन वैभव पद खास। सुखी रखो माँ-बाप को,बनकर उनके दास॥ धन जग में सब कुछ नहीं,है यह सच्ची बात। लेकिन धन…
अलका जैन इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** ख़त लिख-लिख के आने का वादा किया यार ने, हम इंतजार कर-करके थक गये दोस्त चिठ्ठी फिर बांची बहुत बार बांची, कहीं पैगाम गलत तो नहीं…
नई दिल्ली(भारत)। साहित्य संगम संस्थान(नई दिल्ली) द्वारा आयोजित वार्षिकोत्सव में रायबिड़पुरा(खरगोन,मध्यप्रदेश) के साहित्यकार,पर्यावरण प्रेमी और शिक्षक कैलाश मंडलोई 'कदंब' को हिन्दी साहित्य की दीर्घकालीन सेवा के लिए 'विद्यावाचस्पति' मानद उपाधि…
डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** कुछ कहने-सुनने के लिए नहीं, कभी यूँ ही मिलने-मिलाने को आ। जानता है तू मुझे इतना ही काफी है, पहचान अपनी कुछ बढा़ने को आ।…
शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** रास्ता तुम्हीं हो और तुम्हीं हो मेरा सफ़र, वास्ता तुम्हारा है हर घड़ी और हर पहर। तुम ही मेरे जीवन की सबसे मजबूत कड़ी, तुम…
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** मैं वस्त्रों में लिपटे रजकन ढूंढ रहा हूँ। मैं वो अपना मनहर बचपन ढूंढ रहा हूँll चोर,वजीर,सिपाही लिखते थे कागज पर, या सिक्कों की गुच्ची…
डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात ) **************************************************************** सीमाएँ जब टूटती हैं, बनी हुई मूरत को जब हथौड़े से तोड़ा जाता है, सदियों पुरानी मूरत पहले झेलेगी छोटे-छोटे वार, असंख्य प्रहारों…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** महाविजय अभियान से,अश्वमेध का अश्व। क्षत-विक्षत रिपुदल हुआ,कामदार तेजश्वll अहंकार की आग में,हुआ विरोधी अन्त। चोरों का अदभुत मिलन,हार गई उस सन्तll गाली…
अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ जला सूरत,तस्वीर थी बदसूरत, प्रशासन था मौन,कैसी ये फितरतl झुलस गए मासूम,माँ उसको निहार रही, हड्डी के ढांचों में ममता निढाल विलाप रही। आग बुझी…
क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** अनय अधर्म का वर्चस्व चतुर्दिक प्रबल हो रहे अन्याय अत्याचार है, कवि! कैसे मान लूँ तेरे कहने पर प्रेममय यह मानव का संसार है? पशुत्व पूजित…