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कुछ यूँ ही…

डॉ.नीलम कौर
उदयपुर (राजस्थान)
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कुछ कहने-सुनने के लिए नहीं,
कभी यूँ ही मिलने-मिलाने को आ।

जानता है तू मुझे इतना ही काफी है,
पहचान अपनी कुछ बढा़ने को आ।

नहीं है ख्वाहिश कोई जिद अपनी मनवाने की,
बस इतना ही कि तू मुझे रिझाने को आ।

कहते हैं मिलने-मिलाने से मिटती हैं दूरियां,
कुछ यूँ ही सही दूरियां ही मिटाने को आ।

माना के जिद रही थी कभी मेरी ना मिलने की,
अब इसरार है,तू ही मुझे मनाने को आ॥

परिचय – डॉ.नीलम कौर राजस्थान राज्य के उदयपुर में रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। आपका उपनाम ‘नील’ है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। आपका निवास स्थल अजमेर स्थित जौंस गंज है।  सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। अन्य सामाजिक संस्थाओं में भी जुड़ाव व सदस्यता है। आपकी विधा-अतुकांत कविता,अकविता,आशुकाव्य और उन्मुक्त आदि है। आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना और भावनाओं के ज्वार को शब्दों में प्रवाह करना ही लिखने क उद्देश्य है।

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