कुल पृष्ठ दर्शन : 415

You are currently viewing रक्तदान देवत्व

रक्तदान देवत्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

***********************************************************************

सब दानों में है बड़ा,करो रक्त का दान।
बच जाता इंसां ‘शरद’,खुश होता भगवान॥

रुपया-पैसा,अन्न भी,रखता है निज मान।
पर सबसे उत्तम सदा,करो रक्त का दान॥

जीवन सबसे क़ीमती,होती मंहगी जान।
रक्तदान देकर करो,देवों का सम्मान॥

रक्तदान इक चेतना,रक्तदान इक भाव।
ना होता इस दान से,किंचित रक्त-अभाव॥

रक्तदान तो पुण्य है,रक्तदान अभियान।
रक्तदान से ही सधे,मानवता का मान॥

रक्तदान संवेदना,रक्तदान आवेग।
रक्तदान इंसानियत,का कहलाता नेग॥

रक्तदान अहसास है,रक्तदान है फर्ज़।
रक्तदान नियमित करो,ना है कोई हर्ज॥

रक्तदान इक जोश है,होता पावन काज।
देर नहीं निश्चय करो,यह करने को आज॥

रक्तदान से ज़िन्दगी,पाती है नव अर्थ।
रक्तदान के बिन ‘शरद’,पलता नित्य अनर्थ॥

रक्तदान देवत्व है,हो इसका जयगान।
रक्तदान करके बने,हर इंसां भगवान॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply