फाल्गुनी हवा
तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** फाल्गुनी हवा-सी,तुम्हारी स्मृतियों की शीतलताकर देती है मन शीतल,तुम्हारी उन्मुक्त हँसीभर देती है वादियों की,खाली झोलियाँ। फूलों के उदास चेहरों पर,ठहर जाती हैओस की नन्हीं-नन्हीं बूंदें,झूमती लताओं…