धन्य-धन्य भारत मही

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक)*********************************************** महिमामण्डन भारती, परमवीर बलिदान।धन्य-धन्य भारत मही, नूतन अनुसंधान॥ हिन्द देश पावन मही, संघर्षक प्रतिमान।विजयी नित पुरुषार्थ से, पाये यश सम्मान॥ वीरों से सज्जित मही, महाशक्ति…

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दर्द सहता है

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दिल में जज्बात यही दर्द सभी सहता है।कुछ बयां हो न सके चुप ये तभी रहता है। आह भरता है मगर कुछ न कभी…

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मत पहुंचाओ क्षति

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** प्रकृति और खिलवाड़... धरती का श्रृंगार है प्रकृति,जीवनदायिनी कहलाती हैफल, फूल और वनस्पति से,आँगन-आँगन महकाती है। हरा-भरा बनाती उपवन,सुनहरे पुष्प खिलाती हैधूप से जो जल जाए तन,रिमझिम…

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असहनीय और अवैध

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** प्रकृति और खिलवाड़... दो तर्क पूर्णता से घिरे सवाल ?दोनों ही सवालों के हैंएक पूरक सबल‌,जवाब।प्रकृति ब्रम्हांड की,ईश्वरीय देन हैपृथ्वी का सौन्दर्य शान,प्रकृति प्राणवायु का सचित्रस्वरूप में…

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ना धरा चीर

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** प्रकृति और खिलवाड़.... समझो पीर,पर्यावरण जान-ना धरा चीर। है कुदरत,संभाले जो सबको-यह फ़िक्र क्यों ? कैसा विकास ?खिलवाड़ से घाटा-हुआ विनाश। नाजुक धरा,मत करो छलनी-समझो जरा। ओ…

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कदम-कदम साथ चलना है

पायल अग्रवालमुजफ्फरपुर (बिहार)******************************* जीवन से कुछ सीखना है,कदम-कदम साथ चलना हैनई उमंग है,नई आशा हैआँखों में सपने लेकर,इस नववर्ष मेंसाथी साथ चलना है,चाहे शीत लहरें हो,चाहे ओस फुहारें होआलस सब…

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मुरली धुन में मोहित सब संसार

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** जय श्री कृष्ण (भाग-२)... गोवर्धन पर्वत अटल, लिए कनिष्ठा थाम।ब्रज की रक्षा इंद्र से, किए कृष्ण सुखधाम॥ हर्षित ब्रज की गोपियाँ, हर्षित सारे ग्वाल।बजी कृष्ण…

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कविता में है चेतना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कविता में है चेतना, मानवता के भाव।कविता करती जागरण, दे जीने का ताव॥ कविता जीवनगीत है, करुणा रखती संग।कविता शब्दों से बने, परहित के ले रंग॥…

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सबकी भाग्यविधाता

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** प्रकृति और खिलवाड़... यह विषम परिस्थिति में,दिखता समय का बड़ा उलटफेर हैजन-जन तक विकास यात्रा के लिए,दिखता यहां खूब संघर्ष व मुठभेड़ है। प्रकृति के सुन्दर सलोने स्वरूप को,सुरक्षित…

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दुनिया अजनबी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दुनिया है ये अजनबी, भांति-भांति के लोग।विषय रसों को भोगता, घेरे उसको रोग॥घेरे उसको रोग, कष्ट जीवन में पाता।कोई नहीं सहाय, स्वार्थ का है हर नाता॥जो…

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