एक दीपक जला दो यारों

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** एक दीपक,मेरे दिल में भी जला दो यारोंआँखों में उदासी का,अंधेरा-सा छाया हुआ है। ख़ामोश-सी हो गई है जिंदगी,हर और है अजनबीपनन जाने क्यों ये जहां,बेगाना-सा हुआ…

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झूठी उम्मीद

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** चल आज खुद को धोखा देने की,कोशिश करता हूँएक बार फिर से तुझ पर भरोसा करता हूँ,शायद इस दफा तू सच्चा निकले। चल आज तेरी सारी…

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मेरी गौरैया

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ मेरी गौरैया अब नहीं आती मुँडेर पर,विदा हो गईं जैसे कई सुदूर जंगल मेंशहर की पक्की सड़कों ने छीन लिए,गौरैया के छोटे-छोटे पोखरजिनमें फुदकती,खेलती अब नहीं…

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क्यों खफा है गौरैया ?

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** मेरी छुटकी गौरैया,प्यारी गौरैयातुम कहां हो,ज़िन्दगी मेरी तुम क्यों खफा होबतला तो सही,क्यों जुदा हो गई हो। जन्नत जहन्नुम बन गई है तेरे बगैर,तुम क्यों हो बेखबरखेत-खलिहान में,कीट-पतंगों का…

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ये हो सकता नहीं

वाणी वर्मा कर्णमोरंग(बिराट नगर)****************************** माना बीत रही है उम्र,आँकड़े से हार जाऊं…ये हो सकता नहीं। माना दर्द बहुत है जीने में,दवा से हार जाऊं…ये हो सकता नहीं। उम्मीदें हैं अभी…

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प्रकृति की बड़ी देन

संजय जैन ‘बीना’मुंबई(महाराष्ट्र)******************************************* चारों तरफ ऊँचे पहाड़ हैं,और उन पर है बहुत पानीजिसे कारण उन पर,हो गई बहुत हरियालीयही तो प्रकृति की,बहुत बड़ी देन मिली हैऔर प्राणी,जीव-जंतुओं को,स्वच्छ वातावरण मिलता…

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ये कैसा जह़र घुला

एल.सी.जैदिया ‘जैदि’बीकानेर (राजस्थान)************************************ दिल रोता है आँसू मगर निकलता नहीं,कतरा,कतरा बहता है लहू दिखता नहीं। गम-ऐ-हाल कैसे जीते हैं लोग यहां पर,मरना चाहे अगर चैन से कोई मरता नहीं। चलती…

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अमृत है जल

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* बहती गंगा नदिया कल-कल,धरती पर है उससे हलचलजल है जीवन हर प्राणी का,क्यों दूषित करे मानव तू जल ? रहेंगे ना पेड़-पौधे जीव बिन जल,दूषित…

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पहाड़

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)***************************************** पेड़ों की पत्तियां झड़ रही,मद्धम हवा के झोंकों सेचिड़िया चहक रही,वसंत आया।आमों पर बोर खिले,फूल की मद्धम खुशबू छाईटेसू से हो रहे,पहाड़ के गाल सुर्ख।पहाड़ अपनी वेदना…

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बिन सोचे-विचारे

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* झूठ जुमले के सहारे चल रहे।आसमां भू पर उतारे चल रहे। मंज़िलों का कुछ नहीं उनको पता,आज बिन सोचे-विचारे चल रहे। हर तरफ़ है…

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