नदी की गुहार

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)***************************************** जिंदगी क्या है,एक बहती नदीजो सुख-दुःख के,किनारों सेटकराकर चलती। चलती तो है,जब दुःख कापहाड़ गिरता,तो बादल सेरिश्ते,मुँह मोड़ लेते। नदियाँ,सूखने लगतीपत्थर नग्न हो जाते,मानो किसी नेगरीबी को…

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जिन्दगी गीत है…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ***************************** जिन्दगी गीत है गुनगुनाता हूँ मैं,धड़कनों की मधुर धुन सजाता हूँ मैं।दूर रहकर दिलों को मिलाता हूँ मैं,गीत से ही सभी को लुभाता हूँ…

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मानो सच भगवान इस रोटी को

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** करो नहीं बर्बाद तुम,ऐसे इस रोटी को।मानो सच भगवान तुम,यारों इस रोटी को॥ इतनी मेहनत यह इंसान,करता है किसके लिए,इतनी दुआयें ईश्वर से हम,करते हैं किसके…

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खिलना फूलों-सा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** खिलना फूलों-सा यहाँ,महके सदा बहार।होंठों पर मुस्कान हो,मिले सभी का प्यार॥मिले सभी का प्यार,लगे जन-जन को प्यारा।सुन्दर हो व्यवहार,तुझे पूजे जग सारा॥कहे 'विनायक राज',गले तुम…

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हर कदम पर चलते-चलते

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)*************************************** मन में जो है आकांक्षा,जो भी है सुंदर सपनेवास्तव मे अगर है लाना,जो सही है वही करनाखुद को हमेशा संभालना,हर कदम पर चलते-चलते…। कई मोहक मकाम आएंगे,मन को…

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प्रेमातुर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* प्रेम मधुर अहसास है,प्रेम प्रखर विश्वास।प्रेम मधुर इक भावना,प्रेम लबों पर हास॥ प्रेम हृदय की चेतना,प्रेम लगे आलोक।प्रेम रचे नित हर्ष को,बना प्रेम से लोक॥…

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यही ज़िंदगी है क्या …!

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* ख़ून,हत्यागोलियाँ,धमाकेयही ज़िंदगी है क्या…! मरुस्थलों में,मृगतृष्णा-सीबन रही,यही ज़िंदगी है क्या…? मौत,हीमौत का,सायाबनी प्रश्न कर रहीयही ज़िंदगी है क्या…? कहींसे,कैसेजाने !धूप केरास्ते में,छाँव बन रहीयही ज़िंदगी है…

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झोली में तेरी क्या

माया मालवेन्द्र बदेकाउज्जैन (मध्यप्रदेश)********************************** माँ का आशीष है,पिता की दुआ हैउनसे ही यह जीवन,सुखमय हुआ हैअब भी पूछेगा तू,झोली में मेरी क्या है ? कुछ छुपे हुए अपने हैं,पूरे करते…

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दर्द

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बीत गया होली का मौसम पर ख़ुमार बाकी है अब भी,रंग दिखाती गर्म हवाएं पर बहार बाकी है अब भी। याद अभी बाकी है मन में…

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वर्तमान रेखा विभाजन मात्र

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** वर्तमान रेखा विभाजन मात्रभूत,भविष्य साधन जान,वर्तमान करे भोग कल्पनामन को अपने बाधक मान। राह स्मृति भूतकाल कीअतीत प्रक्षेपित भविष्य ज्ञान,वर्तमान से मन की दूरीशून्य-सा उस पल को…

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