उड़ना पंख पसार

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* ये तन पंछी मान कर,उड़ना पंख पसार।नील गगन की छाँव में,सुन्दर-सा संसार॥सुन्दर-सा संसार,सजाना साथी सपने।मिले सभी को प्यार,बसे घर मेरे अपने॥कहे 'विनायक राज',हौंसला रखना रे…

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अब तक जवान होली है

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष ).... प्रेम प्रतीक हर दिल काअरमान होली है,भाईचारे की बोलती जुबान होली है।रंगों गुलाल की शीतल फुहार यह होली-दिल में घुलता-सा रंगों…

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दुहागन रोटी

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)****************************************** औरंगाबाद की पटरियों पर,बिखरी रोटी आज शर्मिंदा हैतार-तार है इज्जत उसकी,खाने वाला ही न जिंदा है। खून-पसीना बहा कर उसने,मुश्किल से इसको पाया थाक्षुधा नाशनी इस…

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जलसंकट

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** गर्मी क्या आईं,जलसंकट गहरायाजन-जन तक,विकट समस्या पहुंचाईक्यों और कैसे,यह समस्या है उठने लगी है यहां ?परीक्षण और जांच जरूरी है यहां। मजबूती से पकड़ बनाने,के लिए यहां श्रम जरूरी…

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प्रेम और पत्तियाँ

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)***************************************** छुई-मुई सी होती है पत्तियाँ,कभी छू के देखी नहींडर था कहीं प्रेम की प्रीत,बंद न हो जाए पत्तियों सी। घर-आँगन में बिखेरे दानों को,चुगती है चिड़ियाएँचाहता हूँ…

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कहानी और है

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* दौरे हाजिर की कहानी और है।शान-शौकत खानदानी और है। बहते दरिया की रवानी और है।सड़ते पानी की कहानी और है। कल की गुज़री ज़िन्दगानी…

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लगा लो रंग होली में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************* लगा लो रंग होली में,मोहब्बत रंग झोली मेंमिटाओ हृदय घावों को,समा लो मीठी बोली में। खिलो सद्भाव कुसुम चमन में,महको खुशबू बनो दिल मेंसमरसता…

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२ का पहाड़ा

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** दो एकम दो,उठते ही मुँह धो। दो दूनी चार,स्नान को तैयार। दो तिया छै,कहो प्रभु की जै। दो चोको आठखा लो रोटी-साग। दो पंजे दस,आई…

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किसान की पीड़ा

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** मैने सींचा लहू पसीना,अर्पण किया सारा जीवन।तन-मन सब कुछ त्यागा मैंने,तब मिला है तुम्हें संजीवन॥ तपती धरा तपता आसमां,कठिन परिश्रम मैं करता।तभी भूख से व्याकुल मानव,अपना…

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…जब दिल के तार मचल जाएं

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** विश्व कविता दिवस विशेष... तूफान वही है,जिससे कि,दरिया की धार बदल जाए।हुंकार वही कहलाती है,जिससे दुश्मनी दहल जाए॥ वाणी का माधुर्य वही,जिससे पाषाण पिघल जाए।वही सार्थक कविता…

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