सच बोले मन का इकतारा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** सच बोले मन का इकतारा,काहे सुनता नहीं रे तू प्राणीइस जग ने बहलाया तुझको,काहे तूने मन की नहीं जानी। सुन-सुन बातें तू भटका है,मन की थाह…

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महाशिवरात्रि

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** शिवरात्रि विशेष.... नीलकंठ भोलेनाथ,गंगाधर गौरीनाथ।मन में हे! पशुपति,आशा बन जाइये॥ होवे नहीं बुरे काम,होवे रोज अच्छे काम।मेरे नयनों की तुम,छवि बन जाइये॥ छाई जग में निराशा,तुम…

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कलम की ताकत

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** जिसे बेजुबाँ समझा तुमने उसकी जुबाँ जान जाओगे,कलम की ताकत क्या होती है,आज पहचान जाओगे। दिल की हर बात को ये कैसे जान जाता है,शब्दों में…

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मैं शिव हूँ

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) ************************************** मैं आदिदेव अजन्मा,मैं अविकारी अविनाशी हूँ,ॐ स्वरूप में नित रहता,मैं श्रीराम की सेवा करता हूँ। सृष्टि के लिए मैं,सब कुछ करता हूँ मैं शिव हूँ,मैं संहारक…

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शिव शंकर सबका बेड़ा पार करो

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* शिवरात्रि विशेष..... हर हर महादेव भोले शिव शंकर,सबका बेड़ा पार करो,हे केदार नाथ सोमनाथ,नैया हमारी तारण तार करो।हे चन्द्र मुकुट धारी नागेश्वर,महिमा तेरी अपरम्पार-सर्वेश्वर इस शिवरात्रि अंतःकरण,सबका…

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फितरत

संजय जैन ‘बीना’मुंबई(महाराष्ट्र)******************************************* मेरे सपनों में आकर,मुझे क्यों तड़पाते होमेरी रातों की नींद से,मुझे क्यों उठाते होपुरानी यादों को फिर से,मुझे क्यों याद दिलाते होजब रहा नहीं रिश्ता तो,क्यों सपनों…

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पूजा की थाली सजे

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** पूजा की थाली सजे,आया पावन पर्व।अपनी ये संस्कृति भली,इन पे हमको गर्व॥इन पे हमको गर्व,मान-सम्मान दिलाते।खुशियाँ मिले अपार,आँगना फूल खिलाते॥कहे 'विनायक राज',नहीं सम व्रत है…

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वेदना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:सार छंद आधारित,२८मात्रा, १६-१२ पर यति,पदांत-२२ विरह वेदना की पीड़ा सब,नैनों में भर आती।कहाँ छिपेगी हृदय वेदना,रो-रोकर कह जाती॥ कौन समझता व्यथा किसी की,दूजे के अंतर…

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पारिजात

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** पारिजात फूल खिले रजनी,बगियन रहते महके-महके। दृग छोर पटे दिख भू धवला,कुकि नाच रही कुहके कहके। जब भोर हुये तब भूमि झरे,रवि छाँव दिखे लहके-लहके। हिन रंग…

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मनाएं ज़माने के सामने

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** नख़रे सभी उठायें ज़माने के सामने।रूठा सनम मनायें ज़माने के सामने। रोते हुए न आयें ज़माने के सामने।हौले से मुस्कुरायें ज़माने के सामने। रखना…

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