बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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पूजा की थाली सजे,आया पावन पर्व।
अपनी ये संस्कृति भली,इन पे हमको गर्व॥
इन पे हमको गर्व,मान-सम्मान दिलाते।
खुशियाँ मिले अपार,आँगना फूल खिलाते॥
कहे ‘विनायक राज’,नहीं सम व्रत है दूजा।
इनसे हैं संस्कार,आरती कर लो पूजा॥