चन्द रिश्तों की बानगी है तू…

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** ज़िन्दगी के सफ़र में,रिश्तों की बड़ी अहमियत हैकुछ पल में यहां थोड़ी-सी दिखती,सहूलियत है। सहूलियत से,एतबार न हो जाए यहांयही जिंदगी में खूब,तकलीफ़ देने लगती हैमजबूरियां भी,इस डगर पर…

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देखो,छूट न जाए

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* देख परख कर कीजिए,मत का प्रयोग आप,बहुत कीमती है यह एक उंगली की छाप।आस-पड़ोस ऊपर-नीचे,जायें सबके साथ-वोट दिया नहीं सोच कर,रहे ना कोई संताप॥ यह लोकतंत्र का…

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किताब-घर

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)******************************************** मानवीय सभ्यता के विकास का किताब-घर,जीवन के किस्से-कहानियों वृतांत का किताब-घरजीवन के रस को जिसने पान किया है,काव्य धारा की अमृत धारा का किताब-घर। कहानी घर-घर…

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किया नहीं पसंद मेरा प्यार किसी ने

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** किया नहीं पसंद,मेरा प्यार किसी ने,दिया नहीं मुझको, यहाँ प्यार किसी ने। मैंने पसंद यहाँ,जिसको भी किया,उसने मुझको,जवाब यह दिया।बिना पैसों के साथ,नहीं दिया किसी ने,दिया…

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स्नेह का बन्धन प्रीत मिलन यह

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ***************************************** स्नेह का बन्धन प्रीत मिलन यह,सात जनम अन्तर्धारा होआओ सरगम हृदय मीत हम,अनंत व्योम प्रिय ध्रुव तारा हो। आओ बैठो साथ हमारे,तुम जीवन सुन्दर…

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हिंद की शान हिंदी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* हिंदी प्यारी है हमें,यही हिन्द की शान।हमको इस पर गर्व है,यह भारत का मान॥यह भारत का मान,इसे हम सब अपनाएं।सृजन करें साहित्य,इसे सुसमृद्ध बनाएं॥संस्कृत इसकी मात,भाल…

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सबका अपना काम है

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************************* सबके अपने काम हैं,करें सुअवसर पाय।कभी निराशा हाथ तो,कभी सफल हो जाय॥कभी सफल हो जाय,लगन जब मन में जागे।कदम सफलता चूम,देख फिर पीछे भागे॥कहे 'विनायक…

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आदमी की अब जरुरत नहीं

एल.सी.जैदिया ‘जैदि’बीकानेर (राजस्थान)************************************ आदमी को आदमी की,अब जरुरत नहीं है,मिलने की जरा-सी किसी को फुर्सत नहीं है। कितनी सीमित-सी हो गई है,दुनिया हमारी,सोचें हम जितना उतनी तो खूबसूरत नहीं है।…

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प्रेम दिवस कैसे मनाऊँ…!

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** कटे पड़े थे अंग जमीं पर,तड़प रहे थे वीर हमारेलाल हुई थी माटी सन के,बहे लहू के अविरल धारेइतनी चीखें इतनी आहें,गीत प्यार के कैसे…

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जय हिन्दी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विशेष... शिशु क्या जाने,उसका तुझसे,कैसा नाता है।पर मुख पर पहला अक्षर,क्यों तेरा आता है॥ जन्म लिया धरती पर रोया,माँ-अम्मा कह करतू ही बतला,क्यों आया यह,अनजाना…

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