नारी हूँ

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* मैं नारी हूँ इस दुनिया की,जो बेटी बनकर आती हूँ।बनती हूँ मैं ही माॅं सबकी,नवजीवन जग में लाती हूँ॥मैं नारी हूँ… बेटी से पत्नी मै बनती, दस्तूर निभाने की खातिर,साजन का ऑंगन मिल जाता, पर छूटे है बाबुल का घर।इक जन्म में जीकर दो जीवन, मैं अपनी उम्र बिताती हूँ,बनती … Read more

जज़्बातों की गहराई…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* वो जज़्बातों की गहराई, दिखाने को कहा करते।मगर दिल ही नहीं दिखता, न पैमाने हुआ करते॥ किसी दिल में सजा क्या कौन, ये बातें भला जाने,हमारे दिल में जो रहते, उन्हें हम खूब पहचाने।मचलता दिल सदा यादों में, वो ही तो रहा करते,मगर दिल ही नहीं दिखता,न पैमाने हुआ करते॥वो … Read more

महिमा गंगा मैया की

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)************************************************* माँ गंगा की महिमा अनुपम,ग्रंथों में पाई जाती है।प्रभु विष्णु के चरणों से,निस्सृत हो भू पर आती है॥ स्नान जो गंगा में करते,वे पाप से मुक्ति पाते हैं।मिलती उनको सुख शांति सदा,सद्गति भी वे पा जाते हैं।अवगाहन करते नर-नारी,माँ कृपा सदा बरसाती है।माँ गंगा की महिमा अनुपम,ग्रन्थों में पाई जाती … Read more

ममता का सागर

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ माँ बिन…! माँ मेरी ममता का सागर,जग में तुम्हीं महान हो।मेरा सब कुछ है तुमसे ही,ईश्वर का वरदान हो॥ मुझे धरा पर लाने वाली,रखती आँचल छाँव में।होती है तेरी पूजा माँ,काँटा गड़े न पाँव में॥स्नेह सुधा बरसाने वाली,ऐसा हिंदुस्तान हो।माँ मेरी ममता का सागर,… हमने पकड़ ऊँगली माँ की,चलना सीखा … Read more

कैसे माँ बन पाऊँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ माँ बिन…! यह अजीब लीला है प्रभु की,माँ बिन जन्म न जीवन पाऊँ।मायावी संसार बीच में,कैसे माँ बिन माँ बन पाऊँ॥ माँ ही जीवन, माँ ही जगती,माँ ही गंगा, माँ ही धरतीनव जन्मे शिशु की जिह्वा में,प्रथम बूंद गौ माँ ही भरती।माँ के बिना न प्राण-प्रतिष्ठा,न तन पाऊँ न मन पाऊँ।कैसे माँ बिन…॥ … Read more

श्रमिकों की वंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मजदूरों का नित है वंदन, जिनसे उजियारा है।श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है॥ खेत और खलिहानों में जो, राष्ट्रप्रगति-वाहक हैं,अन्न उगाते,स्वेद बहाते, सचमुच फलदायक हैं।श्रम के आगे सभी पराजित, श्रम का जयकारा है,श्रम करने वालों से देखो, पर्वत भी हारा है…॥ सड़कों,पाँतों,जलयानों को, जिनने नित्य सँवारा,यंत्रों के आधार … Read more

कैसे गाऊँ अपना गीत

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बीता दिन रोटी पानी में,कैसे गाऊँ अपना गीत। हुआ प्रभात जगी नव चिन्ता,बिस्तर छोड़ूं भर लूं पानीपानी के ही पीछे चलती,झाड़ू की भी कथा पुरानी।सुलग अँगीठी में ही जाते,मन के सारे भाव पुनीत॥कैसे गाऊँ अपना गीत… जैसे-तैसे करते उपक्रम,एक बजे बन पाई रोटीखिला-पिला आश्वस्त हुई मैं,तब जागी निज किस्मत मोटी।किन्तु उसी क्षण दिखे … Read more

साँस दे ज़िन्दगी को पवन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* ज़िन्दगी ही न खुद की हुई,चाहती दूसरों को रही।बन्दगी जिस घड़ी सज गई,मांगती उस घड़ी कुछ नहीं। उम्र बचपन, जवानी, बनी,फिर बुढ़ापा मिले अनुभवी।साँस, धड़कन, चलातीं इन्हें,बिन दिखे साथ में बन रहें।मान मिलता मगर तब नहीं,छोड़ दे तो रुदन हो वहीं॥ज़िन्दगी ही न… वक्त जाकर पलटता नहीं,साथ में जो सही … Read more

मेरे आराध्य राम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* आराध्य राम की पूजा में, मैं सारी उम्र बिताऊँगा।जयराम कहूंगा अधरों से, मैं भवसागर तर जाऊँगा॥ धर्म-नीति के जो रक्षक,हैं नित्य सदा ही हितकारी।उनकी गरिमा-महिमा पर मैं,हूँ बार-बार बलिहारी॥आराध्य राम की गाथा को, मैं संग समर्पण गाऊँगा,जयराम कहूंगा अधरों से, मैं भवसागर तर जाऊँगा…॥ अंतर मेरा पावन होगा,जब राम नित्य मैं … Read more

बदलता परिवेश

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)***************************************************** परिवर्तन की लहर चल रही,बदल रहा परिवेश।भाईचारा नहीं रह गया,संकट में है देश॥ टीवी-मोबाइल की संस्कृतिसबके मन में छाई,नहीं मूल्य जीवन मूल्यों काबड़ी गिरावट आई।अपनेपन का भाव लुप्त हैमन को लगती ठेस,परिवर्तन की लहर…बदल रहा परिवेश॥ किसको अपना समझूँकिससे मन की बात कहूँ,सोच-सोच यह विकल हुआ मनकितना और सहूँ।अंधकार बढ़ … Read more