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ममता का सागर

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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माँ बिन…!


माँ मेरी ममता का सागर,
जग में तुम्हीं महान हो।
मेरा सब कुछ है तुमसे ही,
ईश्वर का वरदान हो॥

मुझे धरा पर लाने वाली,
रखती आँचल छाँव में।
होती है तेरी पूजा माँ,
काँटा गड़े न पाँव में॥
स्नेह सुधा बरसाने वाली,
ऐसा हिंदुस्तान हो।
माँ मेरी ममता का सागर,…

हमने पकड़ ऊँगली माँ की,
चलना सीखा प्यार से।
दूध पिलाकर माँ ही मेरी,
जोड़ दिया परिवार से॥
बचपन पाया ममता पाई,
देव तुल्य भगवान हो।
माँ मेरी ममता का सागर,…

प्रेममयी करुणा की मूरत,
सकल ज्ञान भंडार है।
तेरे ही चरणों में माता,
मेरा यह संसार है॥
मेरा सब सम्मान तुम्हीं से,
तुम मेरा अभिमान हो।
माँ मेरी ममता का सागर,…॥

परिचय- बोधन राम निषादराज की जन्म तारीख १५ फरवरी १९७३ और स्थान खम्हरिया (जिला-बेमेतरा) है। एम.कॉम. तक शिक्षित होकर सम्प्रति से शास. उ.मा.वि. (सिंघनगढ़, छग) में व्याख्याता हैं। आपको स्व.फणीश्वर नाथ रेणू सम्मान (२०१८), सिमगा द्वारा सम्मान पत्र (२०१८), साहित्य तुलसी सम्मान (२०१८), कृति सारस्वत सम्मान (२०१८), हिंदीभाषा डॉट कॉम (म.प्र.) एवं राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान (२०१९) सहित कई सम्मान मिल चुके हैं। प्रकाशित पुस्तकों के रूप में आपके खाते में हिंदी ग़ज़ल संग्रह ‘यार तेरी क़सम’ (२०१९), ‘मोर छत्तीसगढ़ के माटी’ सहित छत्तीसगढ़ी भजन संग्रह ‘भक्ति के मारग’ ,छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह ‘अमृतध्वनि’ (२०२१) एवं छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल संग्रह ‘मया के फूल’ आदि है। वर्तमान में श्री निषादराज का बसेरा जिला-कबीरधाम के सहसपुर लोहारा में है।

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