स्वदेशी, उद्यमिता और सहकारिता के भाव से ही स्वावलंबन
डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदीइंदौर (मध्यप्रदेश)********************************** वर्तमान में आधुनिकता की चाल में भाग रहे भोगवादिता के पुजारियों की स्थिति अत्यंत दयनीय प्रतीक हो रही है। पाश्चात्य का व्यापक दुष्प्रभाव भारतीय संस्कृति को बाज़ारवादी प्रवृत्ति की और ढकेलता जा रहा है। एक तरफ़ गाँव शहरों में परिवर्तित हो रहे हैं, वहीं छोटे क़स्बे शहर और शहर महानगरों … Read more